कोरोना कहर के बीच Black Fungus का फंदा, रामगढ़-रांची के बाद धनबाद में केस मिलने से बढ़ा खतरा

Black Fungus पहले से ही कोरोना कहर ढा रहा है। इसके बीच अब ब्लैक फंगस आ गया है। झारखंड में सबसे पहले रामगढ़ में ब्लैक फंगस का मामसा सामने आया। इसके बाद रांची में इसके केस मिले। अब धनबाद में एक मामला सामने आया है।

By MritunjayEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 08:50 AM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 08:50 AM (IST)
कोरोना कहर के बीच Black Fungus का फंदा, रामगढ़-रांची के बाद धनबाद में केस मिलने से बढ़ा खतरा
झारखंड में ब्लैक फंगस का बढ़ रहा खतरा ( प्रतीकात्मक फोटो)।

धनबाद, जेएनएन। कोरोना कहर के बीच ब्लैक फंगस ( Mucosomycosis) झारखंड में अपना दायरा बढ़ा रहा है। सबसे पहले रामगढ़ में ब्लैक फंगस का मामले सामने आया था। इसके बाद रांची पहुंच गया। अब धनबाद में भी ब्लैक फंगस का पहला मामला सामने आया है। धनबाद के बलियापुर रोड निवासी कोरोना संक्रमित एक 50 वर्षीय महिला के मुंह और नाक में ब्लैक फंगस का संक्रमण पाया गया है। महिला के बेहतर इलाज के लिए रिम्स रांची रेफर कर दिया है। अब उसे रांची भेजने की तैयारी है। धनबाद में ब्लैक फंगस का पहला मामला सामने आने के बाद यहां के डॉक्टरों की चिंताएं बढ़ गई है। कोरोना संकट के बीच एक नई तरह की चुनाैती आन पड़ी है। यही चिंता का कारण है।

एक सप्ताह पहले महिला को एसएनएमएमसीएच में कराया गया था भर्ती 

धनबाद की जिस कोरोना संक्रमित महिला में ब्लैक फंगस का लक्षण पाया गया है वह पिछले एक सप्ताह से शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल में भर्ती थी। मंगलवार को उसमें ब्लैक फंगस संक्रमण की पुष्टि हुई। मरीज लंबे समय से किडनी, डायबिटीज रोग से पीड़ित है। 

झारखंड में बढ़ रहा ब्लैक फंगस का खतरा

सबसे पहले झारखंड के रामगढ़ में ब्लैक फंगस का मामले सामने आया था। इसके बाद राजधानी रांची में लगातार ब्लैक फंगस के मामले मिल रहे हैं। राज्य में ब्लैक फंगस का पहला मामला रविवार को रामगढ़ के 38 वर्षीय व्यक्ति में पाया गया था। उसके बाद सोमवार को रांची में इसके तीन और मरीज मिले, जिनमें से दो की आंखों की रोशनी इंफेक्शन के कारण जा चुकी है।

कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके या ठीक हो रहे मरीजों को ब्लैक फंगस अपनी चपेट में लेता है। मुंह, नाक, दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करता है। यह शुगर पेशेंट या कमजोर इम्युनिटी वालों के लिए जानलेवा साबित होता है। अब तक के शोध के अनुसार, गंभीर मरीज को बचाने के लिए स्टेरॉयड के उपयोग से यह इंफेक्शन हो रहा है।

-डॉ. सुशील, सचिव, आइएमए, धनबाद 

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