पुटकी में भाजपा नेताओं ने ही गणतंत्र दिवस पर काटा बवाल, विधायक कह रहे बख्शेगे नहीं Dhanbad News

दिल्ली में ही नहीं गणतंत्र दिवस पर धनबाद के पुटकी में भी बवाल हुआ था। यह बवाल भाजपा नेताओं ने ही किया था। परिणाम यह रहा कि स्थानीय नेताओं ने विधायक राज सिन्हा के नाम घोषित होने के बावजूद उन्हें झंडा नहीं फहराने दिया।

By Atul SinghEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 11:12 AM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 11:12 AM (IST)
पुटकी में भाजपा नेताओं ने ही गणतंत्र दिवस पर काटा बवाल, विधायक कह रहे बख्शेगे नहीं Dhanbad News
दिल्ली में ही नहीं गणतंत्र दिवस पर धनबाद के पुटकी में भी बवाल हुआ था। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

 धनबाद, जेएनएन : दिल्ली में ही नहीं गणतंत्र दिवस पर धनबाद के पुटकी में भी बवाल हुआ था। यह बवाल भाजपा नेताओं ने ही किया था। परिणाम यह रहा कि स्थानीय नेताओं ने विधायक राज सिन्हा के नाम घोषित होने के बावजूद उन्हें झंडा नहीं फहराने दिया। 50 फीट की दूरी पर दूसरा ध्वजारोहण समारोह आयोजित किया गया, जहां विधायक ने झंडा फहराया।

दरअसल पुटकी के मुनिडीह- बालीडीह चौक पर प्रतिवर्ष सांसद पीएन सिंह ध्वजारोहण करते रहे हैं। इस वर्ष उनके पुत्र प्रशांत के कोरोना वायरस संक्रमित होने की वजह से सांसद स्वयं आइसोलेटेड हैं। ऐसे में आयोजकों ने विधायक राज सिन्हा का नाम ध्वजारोहण के लिए इंटरनेट मीडिया पर चलाया। यह गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या की बात है। इसी दिन रात 9:00 बजे किसान मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति घोषित कर दी गयी। अब हुआ यू कि धनबाद महानगर के लिए मोर्चा अध्यक्ष के लिए नामित मनोज कुमार सिंह का नाम कट गया। वे फिलहाल प्रखंड बीस सूत्री समिति के अध्यक्ष हैं और उन्हें किसान मोर्चा जिला अध्यक्ष बनाने के लिए आश्वस्त किया गया था। उनकी जगह पतरा कुल्ही के अनिल कुमार सिन्हा जो पिछले तीन बार से महामंत्री या उपाध्यक्ष रहते आए हैं को जिला अध्यक्ष बना दिया गया। इससे मनोज सिंह रुष्ट हो गए और 9:00 बजे के बाद उन्होंने घोषित कर दिया कि ध्वजारोहण विधायक राज सिन्हा नहीं बल्कि अर्जुन सिंह करेंगे। इससे विधायक समर्थक बौखला गए। उन्होंने पहले तो समझाने का प्रयास किया, नहीं मानने पर समानांतर ध्वजारोहण का कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला लिया।

बता दें कि मुनिडीह-बालीडीह चौक का ध्वजारोहण पहले भी चर्चित रहा है। यहां कांग्रेस व भाजपा समर्थक आमने-सामने ध्वजारोहण करते रहे हैं। दोनों में संख्या जुटाने की होड़ लगी रहती है। 5 मिनट तक राष्ट्रगान के बाद ही भाषण का दौर शुरू होता है।दोनों आमने सामने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी लगाते रहे हैं। खुलकर राजनीति होती रही है। दोनों के स्थानीय नेता भीड़ के जरिए अपनी राजनीति चमकाने की फिराक में रहे हैं। मनोज सिंह इस बार शक्ति प्रदर्शन कर अपनी अहमियत जताने की फिराक में थे। लेकिन वे चूक गए। सारे स्थानीय समर्थक व कार्यकर्ता पार्टी के नेता विधायक के कार्यक्रम में हो लिए। और मनोज सिंह मात्र पांच-सात समर्थकों के साथ ही झंडा फहराते देखे गए।

 उधर अपने भाषण में विधायक राज सिन्हा ने इसे पार्टी विरोधी गतिविधि बताया। कहा कि पार्टी का विरोध करने वाले को बख्शेगे नहीं। इस घटना को पार्टी सहित गणतंत्र दिवस का मजाक बनाने के लिए मनोज सिंह की राजनीतिक आत्महत्या के रूप में देखी जा रही है।

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