किसानाें से किस बात का बदला ले रही हेमंत सरकार: बीजेपी Dhanbad Politics

हेमंत सरकार किसानाें से किस बात का बदला ले रही है। पहले ताे कृषि आशीर्वाद याेजना बंद कर उन्हें प्रति एकड़ मिलने वाली पांच हजार रुपये की राशि बंद की। इसके बाद ऋण माफी याेजना लाई और ऋण देना ही बंद कर दिया।

By Atul SinghEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 04:42 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 04:42 PM (IST)
किसानाें से किस बात का बदला ले रही हेमंत सरकार: बीजेपी Dhanbad Politics
कृषि आशीर्वाद याेजना बंद कर पांच हजार रुपये की राशि बंद की। (जागरण)

धनबाद, जेएनएन। हेमंत सरकार किसानाें से किस बात का बदला ले रही है। पहले ताे कृषि आशीर्वाद याेजना बंद कर उन्हें प्रति एकड़ मिलने वाली पांच हजार रुपये की राशि बंद की। इसके बाद ऋण माफी याेजना लाई और ऋण देना ही बंद कर दिया। खाद, बीज का वितरण भी राेक दिया गया है। फसल बीमा याेजना के तहत किसानाें की फसल का बीमा भी दाे वर्ष से नहीं कराया जा रहा है। सिर्फ दिल्ली के किसानाें के लिए ही मुख्यमंत्री हेमंत साेरेन का दिल क्याें धड़कता है। वे झारखंड के किसानाें के बारे में भी साेचें। कहना था भाजपा नेता रमेश कुमार राही का। वे प्रदेश व्यापी कार्यक्रम के तहत बगुला बस्ती में किसानाें के मुद्दे पर धरना दे रहे थे। इस दाैरान राही ने कहा कि जबसे यह सरकार आई है राज्य के किसानाें की हालत बिगड़ गई है।

धरना में जिला उपाध्यक्ष वीरेंद्र हांसदा ने कहा कि सरकार ने धान की पिछली फसल खरीदी थी जिसकी कीमत अभी तक नहीं दी गई। अब किसान नया धान लगाने जा रहे हैं। सरकार लगातार राज्य के भाेले भाले किसानाें काे ठगने का काम कर रही है। पहले ताे उनसे धान गीला हाेने के नाम पर चार फीसद राशि काट ली। अब कह रही है कि प्रति क्विंटल १५० रुपये बाेनस देगी। और वह भी नहीं दी गई। यहां तक कि धान की फसल भी आधी-अधूरी ही दी गई है। ऐसे में किसान तंगहाल हाे चुके हैं। लॉकडाउन में सारा काराेबार बंद हाेने से उनकी हालत यूं ही बिगड़ी हुई है। अभी ताे पलायन भी नहीं कर सकते। सरकार ने किसानाें काे पंगु बना कर छाेड़ दिया है। नेताओं ने धान की कीमत जल्द अदा करने, बाेनस की रकम भुगतान करने, ऋण माफी करने, फसल बीमा कराने, कृषि आशीर्वाद याेजना लागू करने, खाद व बीज किसानाें काे सुलभ कराने, कृषि सब्सिडी देने की मांग पर सभी मंडलाें में धरना दिया। बगुला बस्ती में धरना देने वालाें में उप मुखिया शनिचर किस्कू, लखपति सिंह, वासुदेव हाजरा आदि शामिल थे।

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