भोजपुरी से रूबरू होगा Dhanbad का हर शख्स, अगस्त में होगा भोजपुरी सम्मेलन

भोजपुरी संस्कृति से रूबरू होने का जल्द ही धनबादवासियों को मौका मिलेगा। धनबाद में भोजपुरी सम्मेलन होने वाला है। इसकी घोषणा जल्द होगी। इतना ही नहीं भोजपुरी को बढ़ावा देने के लिए इससे जुड़े संगठन का विस्तार होगा। अधिक से अधिक लोगों को जोड़ा जाएगा।

By Atul SinghEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 12:00 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 12:13 PM (IST)
भोजपुरी से रूबरू होगा Dhanbad का हर शख्स, अगस्त में होगा भोजपुरी सम्मेलन
भोजपुरी को संविधान की आठवी अनुसूची में शामिल करने की मांग सदन में रखी। (जागरण)

जागरण संवाददाता, धनबाद: भोजपुरी संस्कृति से रूबरू होने का जल्द ही धनबादवासियों को मौका मिलेगा। धनबाद में भोजपुरी सम्मेलन होने वाला है। इसकी घोषणा जल्द होगी। इतना ही नहीं भोजपुरी को बढ़ावा देने के लिए इससे जुड़े संगठन का विस्तार होगा। अधिक से अधिक लोगों को जोड़ा जाएगा।

इसकी तैयारियों और भावी कार्ययोजना को लेकर विकास नगर में राजेश्वर सिंह यादव की अध्‍यक्षता में भोजपुरी फाउंडेशन झारखंड की महत्वपूर्ण बैठक हुई। इसका संचालन भोजपुरी समाज के रामजी भगत ने किया. इसमें भोजपुरी फाउंडेशन के विस्तार, धनबाद में भोजपुरी सम्मेलन कराने पर व्यापक चर्चा हुई। अगस्त में सम्मेलन होगा। इसमें उत्कृष्ट कार्य करने वाले पदाधिकारियों, साहित्यकारों, समाजसेवी, पत्रकारों को सम्मानित किया जाएगा। फाउंडेशन समेत सभी भोजपुरी संगठन की ओर से भोजपुरी भाषा को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए झारखंड सहित देशभर के सांसदों से पत्राचार किया गया है।

20 जुलाई को डुमरियागंज (उतरप्रदेश) के सांसद जगदंबिका पाल की ओर से भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का मुद्दा उठाने के लिए भोजपुरी फाउंडेशन के मुख्य संरक्षक सह विश्व भोजपुरी सम्मेलन के महासचिव डा अशोक कुमार सिंह ने उनके आवास पर जाकर उन्हें बधाई दी। जगदंबिका पाल लगातार भोजपुरी की मान्यता का मुद्दा संसद में उठाते आ रहे हैं।

मारीशस में भोजपुरी को मिल चुकी है मान्यता

राजेश्वर सिंह यादव ने बताया कि जगदंबिका पाल ने लोकसभा के नियम 377 के अंतर्गत देश-विदेश में बोली जाने वाली भोजपुरी, राजस्थानी और भोटी भाषाओं को संविधान की आठवी अनुसूची में शामिल करने की मांग सदन में रखी। इसमें कहा कि भारत के विभिन्न राज्यों में बोली जाने वाली भाषाएं भोजपुरी, राजस्थानी और भोटी को अभी तक संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है। तीनों भाषाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कर चुकी हैं। भोजपुरी को मारीशस, भोटी को भूटान और राजस्थानी को नेपाल ने पहले ही मान्यता दे रखी है। भारत में इस संदर्भ में 1969 से लेकर अब तक 20 बार गैर सरकारी विधेयक लाए जाने के बावजूद अभी तक कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला। भोजपुरी भाषा देश के विभिन्न हिस्सों में बोली जाती है। एक आंकड़े के अनुसार 16 देशों में लगभग 20 करोड़ लोग भोजपुरी भाषा बालते हैं।

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