Benefits of Kaushiki Dance: यह नाच शारीरिक एवं मानसिक रोगों की औषधि, महिलाओं के लिए तो 22 तरह की बीमारियों में रामबाण

काैशिकी नृत्य विशेषकर महिला में होने वाले रोगों के लिए रामबाण है। इस नृत्य के अभ्यास से 22 रोग दूर होते हैं। सिर से पैर तक अंग-प्रत्यंग और ग्रंथियों का व्यायाम होता है। मनुष्य दीर्घायु होता है। यह नृत्य महिलाओं के सुप्रसव में सहायक है।

By MritunjayEdited By: Publish:Tue, 07 Sep 2021 10:17 AM (IST) Updated:Tue, 07 Sep 2021 10:17 AM (IST)
Benefits of Kaushiki Dance: यह नाच शारीरिक एवं मानसिक रोगों की औषधि, महिलाओं के लिए तो 22 तरह की बीमारियों में रामबाण
महिलाओं के लिए फायदेमंद काैशिकी नृत्य ( फाइल फोटो)।

जागरण संवाददाता, धनबाद। वैश्विक महामारी कोरोना की गाइडलाइन का पालन करते हुए जिले के सभी आनंदमार्गियों ने अपने अपने घरों में रहकर वेब टेलीकास्ट से कौशिकी दिवस मनाया। साधकों ने अभ्यास किया। आनंद मार्ग के प्रवर्तक श्रीश्री आनंदमूर्ति ने 1978 में सितंबर माह में कौशिकी नृत्य का प्रवर्तन किया था। कौशिकी नृत्य की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए आचार्य सत्याश्रयानंद अवधूत ने कहा कि श्रीश्री आनंदमूर्ति कौशिकी नृत्य के जन्मदाता हैं। यह नृत्य शारीरिक और मानसिक रोगों की औषधि है।

22 रोग होते दूर

विशेषकर महिला में होने वाले रोगों के लिए रामबाण है। इस नृत्य के अभ्यास से 22 रोग दूर होते हैं। सिर से पैर तक अंग-प्रत्यंग और ग्रंथियों का व्यायाम होता है। मनुष्य दीर्घायु होता है। यह नृत्य महिलाओं के सुप्रसव में सहायक है। मेरुदंड के लचीलेपन की रक्षा करता है। मेरुदंड, कंधे, कमर, हाथ और अन्य संधि स्थलों का वात रोग दूर होता है। मन की दृढ़ता और प्रखरता में वृद्धि होती है। महिलाओं के अनियमित ऋतुस्राव जनित त्रुटियां दूर करता है। ब्लाडर और मूत्र नली के रोगों को दूर करता है। देह के अंग-प्रत्यंगों पर अधिकतर नियंत्रण आता है। मुख मंडल और त्वचा की दीप्ति और सौंदर्य वृद्धि में सहायक है। कौशिकी नृत्य त्वचा की झुर्रियों को ठीक करता है। आलस्य दूर भगाता है। नींद की कमी के रोग को ठीक करता है। हिस्टीरिया को ठीक करता है। भय की भावना को दूर कर मन में साहस जगाता है। निराशा दूर करता है। अपनी अभिव्यंजना क्षमता और दक्षता वृद्धि में सहायक है।

75 से 80 वर्ष की उम्र तक शरीर की रहती है कार्य दक्षता

आचार्य सत्याश्रयानंद अवधूत के अनुसार कौशिकी नृत्य से रीढ़ में दर्द, अर्श, हर्निया, हाइड्रोसील, स्नायु यंत्रणा और स्नायु दुर्बलता दूर होती है। किडनी, गालब्लाडर, गैस्ट्राइटिस, डिस्पेप्सिया, एसिडिटी, डिसेंट्री, सिफलिस, स्थूलता, कृशता और लीवर की त्रुटियों को दूर करने में सहायता मिलती है। इतना ही नहीं 75 से 80 वर्ष की उम्र तक शरीर की कार्य दक्षता भी बनी रहती है।

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