सावधान धनबाद! फाइलेरिया की बीमारी में लापरवाही पड़ सकती है भारी...

फाइलेरिया की बीमारी झरिया कोयलांचल में बढ़ती ही जा रही है। हाल में स्वास्थ्य विभाग की ओर से आधा दर्जन से अधिक जगहों में शिविर लगाकर किए गए सर्वे में एक सौ से अधिक मरीज चिन्हित किए गए।

By Atul SinghEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 04:38 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 04:38 PM (IST)
सावधान धनबाद! फाइलेरिया की बीमारी में लापरवाही पड़ सकती है भारी...
फाइलेरिया यानी हाथी पांव की बीमारी झरिया कोयलांचल में बढ़ती ही जा रही है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

जागरण संवाददाता, झरिया: फाइलेरिया यानी हाथी पांव की बीमारी झरिया कोयलांचल में बढ़ती ही जा रही है। हाल में स्वास्थ्य विभाग की ओर से आधा दर्जन से अधिक जगहों में शिविर लगाकर किए गए सर्वे में एक सौ से अधिक मरीज चिन्हित किए गए। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र झरिया सह जोड़ापोखर अस्पताल में फाइलेरिया मरीजों को मोरबीडीटी मैनेजमेंट किट निश्शुल्क दिया जाता है। ताकि मरीज को ठीक किया जा सके। मलेरिया विभाग के डॉ दिलीप कुमार का कहना है कि जिले में सबसे अधिक झरिया में ही हाथी पांव के मरीज मिले हैं।

हाथी पांव के मरीजों के इलाज को सरकार गंभीर है। इसके लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है। मरीजों को अपने आधार नंबर और मोबाइल नंबर के साथ फ़ोटो मोबाइल नंबर 9835112182 पर भेजना है। इसके बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फाइलेरिया विभाग की टीम मरीजों के घर जाकर जांच करेगी। साथ ही जरूरत के अनुसार दवाई भी देगी। फाइलेरिया मोरबीडीटी मैनेजमेंट किट भी निश्शुल्क दिया जाएगा।

क्या है हाथी पांव फाइलेरिया बीमारी 

फाइलेरिया बीमारी संक्रमित क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर हमारे घरों व आसपास गंदे व प्रदूषित पानी में पाए जाता है। यह बीमारी बचपन में ही हो जाता है। यह किसी भी उम्र में हो सकता है। यह बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा होता है। शहरों में यह बीमारी लोगों को अधिक होती है। फाइलेरिया मरीज के पास महीनों रहने से भी बीमारी होने की संभावना रहती है। पुरूषों

के पैर, हाथ अंडकोष व महिलाओं के भी हाथ, पैर, स्तन प्रभावित होते हैं।

परिवार के लोग फाइलेरिया पीड़ित से मुंह लेते हैं मोड़ 

फाइलेरिया बीमारी से किसी की मौत तो नहीं होती है। लेकिन मरीज का जीवन नारकीय हो जाता है। पैर, हाथ अंत में फूलकर विकृत हो जाता है। शरीर की चमड़ी फटने लगती है। उससे मवाद निकलने लगता है तो मरीज की जिंदगी मौत से भी बदतर हो जाती है। पारिवार के लोग भी मरीज से मुंह मोड़ लेते हैं। मरीज पारिवारिक व सामाजिक रूप से उपेक्षित महसूस करने लगते हैं।

chat bot
आपका साथी