BCCL कर्मी का आवास जर्जर,छतों पर पेड़ और दीवारों से झांक रही लोहे की छड़ें Dhanbad News

एशिया की सबसे बड़ी श्रमिक नगरी कही जाने वाली भूली में श्रमिकों को देखने वाला कोई नहीं है। श्रमिकों के क्वार्टर जर्जर हो चुके हैं। यहां रहने वाले करीब एक लाख से उपर की आबादी को पानी भी खरीद कर पीना पड़ रहा है।

By Atul SinghEdited By: Publish:Fri, 30 Apr 2021 04:09 PM (IST) Updated:Fri, 30 Apr 2021 04:09 PM (IST)
BCCL कर्मी का आवास जर्जर,छतों पर पेड़ और दीवारों से झांक रही लोहे की छड़ें Dhanbad News
एशिया की सबसे बड़ी श्रमिक नगरी कही जाने वाली भूली में श्रमिकों को देखने वाला कोई नहीं है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

सौरभ पांडेय, भूली (धनबाद) : एशिया की सबसे बड़ी श्रमिक नगरी कही जाने वाली भूली में श्रमिकों को देखने वाला कोई नहीं है। श्रमिकों के क्वार्टर जर्जर हो चुके हैं। यहां रहने वाले करीब एक लाख से उपर की आबादी को पानी भी खरीद कर पीना पड़ रहा है।

क्वार्टर की स्थिती तो इतनी जर्जर है कि आए दिन घरों के सिलिंग एवं छतों के रेलिंग के बड़े-बड़े टुकड़े टूट-टूट कर गिर रहे हैं और बीसीसीएल कर्मी और उनके परिजन घायल हो रहे हैं। अपने घरों की मरम्मत के लिए कोई मजदूर छह माह से भूली टाउनशिप एडमिस्ट्रेशन (बीटीए) को आवेदन देकर उसका चक्कर लगा रहा है, तो कोई साल भर से, लेकिन मजदूरों की समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है।

भूली में रहने वाले बीसीसीएल कर्मियों के इन तकलीफों से न जनप्रतिनिधियों को मतलब है और न ही बीसीसीएल प्रबंधन को। बीसीसीएल कर्मी असुविधाओं के बीच रहने को मजबूर हैं।  स्वच्छ भारत अभियान का भूली में कोई अर्थ ही नहीं है, यहां ऐसी कई इमारतें हैं, जिनमें दीवारों पर जगह-जगह बड़ी दरारें पड़ गई हैं। दीवारों पर लंबे-लंबे पेड़ उग आए हैं। छत के दीवारों से छड़ बाहर झांक रहे हैं। कहीं बालकोनी टूटी हुई है, कहीं छत का रेलिंग टूटा हुआ है, कहीं सीढी टूटी है तो कही किचन का प्लास्टर टूटा कर लोहे की छड़े बाहर झांक रही है। ज्यादातर दीवारें पूरी तरह खोखली हो गई हैं और कभी भी भरभराकर गिर सकती हैं।

डी ब्लॉक, सी ब्लाक, ओल्ड बी टाइप, इ ब्लॉक में सैकड़ो घर ऐसी हालत में है जिनके आशियाने ऐसे है की कब क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता। किसी घर का छत टूटा है, किसी के छत से प्लास्टर झड़ कर गिरता रहता है, किसी का छत पानी से रिस रहा है, किसी की बालकनी अंतिम सांस गिन रही है, कोई कोई घर में तो इतने पेड़ उग आये है की इन्हें काट भी नहीं सकते है। नजारा ऐसा है की मानो छत और पुरे घर में पर्यावण संरक्षण का ठेका लिया गया हो।

खस्ताहाल मकान लेत रहा हैं जान

बीसीसीएल ने 1984 में लगभग 6 हजार क्वाटर भूली में बनाये है जिसका रिपेरिंग 2005 तक किया जाता रहा लेकिन इसके बाद आवास सम्बन्धि किसी भी तरह की शिकायत का निवारण भूली बीटीए की तरफ से नहीं किया गया। जिसका नतीजा है कि अब कई क्वाटर जर्जर हो चुके है और उसकी हालत काफी खराब है। इससे पहले भूली में इस तरह की छत गिरने, बालकनी गिरने प्लास्टर गिरने जैसी घटना सामने आ चुकी है। जिसमे लोग बाल बाल बचे है। ई ब्लाक सेक्टर 2 के आवास संख्या 587 में एक महिला की बलकनी से मौत हो गई थी। 

क्या कहते हैं कर्मी

बीसीसीएल के आवास में पीपल और बरगद के बड़े बड़े पेड़ उग चुके हैं। जिससे कभी भी अप्रिय घटना हो सकती है। जर्जर आवास में रहने से दुर्घटना की आशंका से मन भयभीत रहता है। ई ब्लॉक सेक्टर दो में बालकोनी का दीवार ढहने से एक वृद्ध महिला की मौत हो गई। फिर भी बीसीसीएल प्रबंधन की नींद नही टूटी रही है।

सैयद इश्तियाक अहमद, बीसीसीएल कर्मी 

घर मे रहने से डर लग रहता है,अभी कुछ दिन पहले ही पास में बालकोनी गिरने से हादसा हुआ था. उसके बाद हमलोग ओर भी डर गये है। बच्चों को बालकनी की तरफ जाने भी देते । बीसीसीएल प्रबंधक भूली को लेकर उदासीन रवैया अपनाए हुए है। एक दशक से भुली के आवासों की मरम्मत का कार्य नही हुआ है। आवास जर्जर हो चुका है। लगातार आवासों के प्लास्टर टूट कर गिर रहा है। कई लोग घायल हुए ।

दिनेश यादव, बीसीसीएल कर्मी  

chat bot
आपका साथी