बीसीसीएल ने बिहार व संताल परगना के दो कोल ब्लॉक किए वापस

बीसीसीएल की बोर्ड मीटिग ने बिहार में कोयला खनन की संभावनाओं पर पूर्ण विराम लगा दिया है। कंपनी ने संताल परगना व बिहार के कोल ब्लॉक वापस करने का निर्णय लिया है। जिन खदानों को वापस करने का निर्णय लिया गया उनमें बिहार के भागलपुर जिला स्थित मंदार पर्वत कोल ब्लॉक व झारखंड में गोड्डा जिले का पिरपैंती कोल ब्लॉक शामिल है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 26 May 2021 11:11 PM (IST) Updated:Wed, 26 May 2021 11:11 PM (IST)
बीसीसीएल ने बिहार व संताल परगना के दो कोल ब्लॉक किए वापस
बीसीसीएल ने बिहार व संताल परगना के दो कोल ब्लॉक किए वापस

जागरण संवाददाता, धनबाद : बीसीसीएल की बोर्ड मीटिग ने बिहार में कोयला खनन की संभावनाओं पर पूर्ण विराम लगा दिया है। कंपनी ने संताल परगना व बिहार के कोल ब्लॉक वापस करने का निर्णय लिया है। जिन खदानों को वापस करने का निर्णय लिया गया, उनमें बिहार के भागलपुर जिला स्थित मंदार पर्वत कोल ब्लॉक व झारखंड में गोड्डा जिले का पिरपैंती कोल ब्लॉक शामिल है।

लाभदायक नहीं है खनन : बोर्ड की बैठक में सीएमपीडीआइएल की रिपोर्ट पेश की गई। इसमें बताया गया कि यहां कोयला खनन करना लाभदायक नहीं है। मदार पर्वत व पिरपैंती दोनों ही ब्लॉक में जी-12 ग्रेड का कोयला है, जो काफी अच्छा कोयला नहीं माना जाता। यह काफी गहराई में है। सबसे बड़ी बात कि खनन क्षेत्र में सघन आबादी है। सीएमडी पीएम प्रसाद के मुताबिक अध्ययन में यह पाया गया कि खनन कार्य से पहले कंपनी को 20,000 लोगों का पुनर्वास करना होगा। इसमें जितनी लागत उसके मुकाबले मुनाफा संभव ही नहीं।

पहले भी लौटा चुकी है दो ब्लॉक :

बता दें कि कंपनी इसी इलाके में दो ब्लॉक पहले भी लौटा चुकी है। इनमें भागलपुर जिले के मिर्जागांव और गोड्डा जिले का धुलियानार्थ ब्लॉक शामिल है। तब बताया गया था कि वहां की भौगोलिक स्थिति ऐसी नहीं कि खनन किया जा सके। दरअसल इलाका बलूई मिट्टी वाला है। ओबी का ढेर वहां नहीं बनाया जा सकता। बनाया गया तो बारिश में वह ढह कर खदान में चला जाएगा और फिर भयानक खदान हादसा की आशंका हमेशा रहेगी। यदि मिट्टी दूरस्थ इलाकों में डंप किया गया तो लागत काफी अधिक हो जाएगी। बारिश के दिनों में भी खदान में हमेशा जल भराव और मिट्टी धंसने का खतरा बने रहने से भी खनन में परेशानियां बताई गई थी। 1200 करोड़ के नुकसान में है कंपनी : बोर्ड के दौरान ऑडिट कमेटी की भी बैठक हुई। इसमें बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में बीसीसीएल 900 करोड़ के मुनाफे में थी। जबकि वित्तीय वर्ष 2020-21 में यह 1200 करोड़ के घाटे में चली गई। वजह कि वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही कंपनी लॉकडाउन की विसंगतियों में फंस गई। डिस्पैच लगभग ठप हो गया जो नौ महीने तक जारी रहा। आखिरी के महीनों में भरपाई के प्रयास किए गए पर वह अधिक न हो पाया। हालांकि उम्मीद जताई गई कि इस वित्तीय वर्ष में कंपनी मुनाफे में रहेगी। डिस्पैच की रफ्तार रखें बरकरार, उत्पादन बढ़ाएं : सीएमडी पीएम प्रसाद ने बताया कि फिलहाल प्रतिमाह 2.5 मिलियन टन कोयला का प्रतिमाह डिस्पैच किया जा रहा है। यह अगर बरकरार रहा तो इस वित्तीय वर्ष में हमें अच्छा खासा मुनाफा होगा। हालांकि उत्पादन के मोर्चे पर कुछ कमी है। बैठक में निर्देश दिया गया है कि कंपनी उत्पादन की स्थिति हर हाल में सुधारे ताकि डिस्पैच में कोई गतिरोध न हो। बैठक में बीसीसीएल के निदेशक मंडल के तमाम सदस्यों के साथ ही कोल इंडिया, मंत्रालय के पदाधिकारी भी शामिल थे।

chat bot
आपका साथी