Bhuli Township को भूल गया बीसीसीएल; नहीं बन सका कॉलेज, बेटियों से छीन ली गई बस सेवा

भूली बी ब्लॉक में 60 के दशक से हाई स्कूल चल रहा है। लोगों की मानें तो उस समय ढाई हजार बच्चे वहां पढ़ते थे। शिक्षकों की संख्या 14 के आसपास थी लेकिन अब मात्र 900 बच्चे ही रह गए हैं।

By MritunjayEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 12:01 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 12:16 PM (IST)
Bhuli Township को भूल गया बीसीसीएल; नहीं बन सका कॉलेज, बेटियों से छीन ली गई बस सेवा
भूली टाउनशिप स्थित भली ब्लॉक हाल्ट ( फाइल फोटो)।

धनबाद/भूली, जेएनएन। दुनिया कहां से कहां जा पहुंची है, लेकिन बीसीसीएल श्रमिकों की नगरी भूली में लगभग 40 वर्षों के बाद भी हाई स्कूल तक की पढ़ाई की व्यवस्था भी सही से नहीं हो पाई है। लिहाजा, यहां के हजारों छात्रों को पढ़ाई के लिए निजी स्कूलों पर निर्भर रहना पड़ता है। वहीं आर्थिक रूप से कमजोर छात्र पढ़ नहीं पाते हैं। भूली में बेहतर स्कूल-कॉलेज नहीं होने के कारण छात्राओं को ज्यादा परेशानी होती है। उन्हें पढ़ाई के लिए शहर आना पड़ता है। बीसीसीएल की ओर से पहले भूली की छात्राओं को धनबाद के कॉलेज तक लाने के लिए बस सुविधा दी गई थी, लेकिन इसे वर्ष 2010-11 में बंद कर दिया गया। भूली के लोग इससे खासे नाराज हैं। पूरे इलाके में प्लस टू के लिए कोई सरकारी स्कूल नहीं है। नेताओं व प्रशासन की इस बेरूखी से आम लोग नाराज है। भूली में सरकारी स्तर पर बी ब्लॉक और डी ब्लॉक में स्कूल हैं, लेकिन दोनों जगहों पर प्लस टू की पढ़ाई नहीं होती है। तत्कालीन पार्षद अशोक यादव ने वर्ष 2010 में नगर निगम की बैठक में भूली में महिला कालेज की मांग उठाई थी। इसपर सहमति भी बन गई थी, लेकिन फिर बात आगे नहीं बढ़ी।

हाई स्कूल में थे ढाई हजार बच्चे, अब 900 के आसपास

भूली बी ब्लॉक में 60 के दशक से हाई स्कूल चल रहा है। लोगों की मानें तो उस समय ढाई हजार बच्चे वहां पढ़ते थे। शिक्षकों की संख्या 14 के आसपास थी, लेकिन अब मात्र 900 बच्चे ही रह गए हैं। इसमें हाई स्कूल के 350 बच्चे हैं, शेष बच्चे आठवीं से नीचे के हैं। आठ शिक्षक पठन-पाठन करवा रहे हैं। कई बार इसे प्लस टू करने की मांग जनता ने की, लेकिन कोई पहल नहीं की गई। स्कूल में पानी तक की व्यवस्था नहीं है। पहले स्कूल की देख रेख बीटीए प्रबंधन करता था, लेकिन अब नहीं। स्कूल की हालत ऐसी है कि बरसात में जगह-जगह पानी टपकता है।

निजी स्कूलों की संख्या बढ़ी, गरीब वंचित

पिछले 10 वर्षों में भूली और इसके आसपास 14 निजी स्कूल खुल गए, लेकिन कई स्कूलों की फीस इतनी ज्यादा है कि आम लोग वहां बच्चों को पढ़ा नहीं सकते हैं। कुछ निजी स्कूलों में फीस कम है, तो उन्हें मान्यता ही नहीं मिली है। ऐसे में छात्रों को शहर ही आना पड़ता है।

कहते हैं लोग

बी ब्लॉक स्थित विद्यालय के भवन का हाल बुरा है। विद्यालय में बच्चों को बैठने तक की सुविधा नही है। बच्चों को सुविधा देने के नाम पर सरकार के पास कुछ भी नहीं है। नेताओं को भी चुनाव में ही भूली की याद आती है।

-रेणू देवी, सी ब्लॉक

डी ब्लॉक मध्य विद्यालय में कक्षा आठ तक पढ़ाई की सुविधा है, मगर शिक्षकों की भारी कमी है। महज तीन शिक्षकों के बदौलत विद्यालय चल रहा है। तीन शिक्षक और आठ कक्षा, ऐसी स्थिति में पठन पाठन का कार्य कैसे चलेगा।

-प्रकाश कुमार विश्वकर्मा, डी ब्लाक

सरकारी विद्यालय में सुविधा के नाम पर खंडहर ही बचा है। हल्की बारिश में भी स्कूल की छत से पानी टपकने लगता है। ऐसे जर्जर भवन में हादसा का खतरा बढ़ गया है।

-अरूण कुमार मंडल, ए ब्लाक

सरकारी स्कूल में एक तो पर्याप्त शिक्षक नही है और सरकारी विद्यालयों में ऑनलाइन शिक्षा की भी व्यवस्था नहीं है। ऐसे में छात्रों की पढ़ाई अधर में है। बच्चों को शिक्षा कैसे मिलेगी इस पर सरकार गंभीर नही है।

-प्रदीप शर्मा, ई ब्लॉक

सरकारी स्कूलों र्में पर्याप्त त शिक्षक नही है। तीन कक्षा पर एक शिक्षक है, तो पढ़ाई कैसे होगी। सरकार तकनीकी शिक्षा पर जोर देने की बात कहती है, मगर यह ढकोसला भर है। जिस विद्यालय में बिजली नहीं है वहां कंप्यूटर और आधुनिक शिक्षा की बात बेमानी है।

-संजय सिंह, बी टाइप

सरकारी विद्यालय में आधुनिक शिक्षा का माहौल नहीं दिखता। बिजली का संयोग नहीं रहने से छात्रों को बेहतर शिक्षा का लाभ नहीं मिल रहा है। जिसके कारण अधिकांश बच्चे निजी विद्यालय की ओर पलायन कर जाते हैं।

-प्रमोद पासवान, सी ब्लॉक

सरकारी विद्यालय सिर्फ प्रमाण पत्र निर्गत करने का काम कर रहे हंै। स्कूल में पानी नहीं है। इससे बच्चों को परेशानी होती है।

-ठाकुर अच्युतानंद सिंह, अधिवक्ता, ए ब्लाक

भूली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा नही मिलती है। शिक्षकों की कमी और संसाधनों का अभाव होने से सरकारी विद्यालय में पढ़ाई स्तरीय नहीं हो पा रही है।

- मांडवी, ई ब्लाक

सरकारी स्कूलों में न भवन है और न शिक्षक। शौचालय और पानी तक उपलब्ध नहीं है। ऐसे में सरकारी शिक्षा का हाल कैसा होगा। इस वजह से लोग अपने बच्चों को निजी शिक्षण संस्थान में भेज रहे हैं।

-रवि सिंह, बी ब्लाक

निजी स्कूलों में भारी लूट है। मगर भूली में दूसरा विकल्प भी नहीं है। आखिर लोग क्या करें। बच्चों को निजी विद्यालयों में पढ़ाना पड़ रहा है।

- दिलीप राय, ई ब्लॉक

chat bot
आपका साथी