BBMKU Controversy: कुलपति की किसने कराई फजीहत, विधायक मथुरा ने इशारे ही इशारे में खोला राज

विधायक समर्थकों का आक्रोश इस बात को लेकर था कि विश्वविद्यालय का नया भवन सिंदरी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आता है। ऐसे में शिलापट्ट पर सिंदरी विधायक इंद्रजीत महतो की गरिमामयी उपस्थिति में उद्घाटन हुआ यह लिखा जाना चाहिए था। ऐसा न कर कुलपति ने जनप्रतिनिधि को अपमानित किया है।

By MritunjayEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 04:55 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 06:13 PM (IST)
BBMKU Controversy: कुलपति की किसने कराई फजीहत, विधायक मथुरा ने इशारे ही इशारे में खोला राज
विधायक इंद्रजीत महतो की पत्नी तारा देवी से माफी मांगते बीबीएमकेयू के वीसी डॉ. एके श्रीवास्तव ( फोटो जागरण)।

जागरण संवाददाता, धनबाद। बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय ( BBMKU) धनबाद के नव निर्मित भवन के उद्घाटन शिलापट्ट पर स्थानीय विधायक इंद्रजीत महतो का नाम न होने का मामला तूल पकड़ लिया है। प्रोटोकॉल के तहत शिलापट्ट पर स्थानीय विधायक और सांसद के अलावा बीबीएमकेयू क्षेत्र के सभी सांसद और विधायकों का नाम होना चाहिए था। जब शिलान्यास हुआ थो सभी सांसद और विधायक के नाम शिलापट्ट पर दर्ज किए गए थे। उद्घाटन शिलापट्ट पर सिंदरी के विधायक इंद्रजीत महतो का नाम गायब कर दिया गया। जबकि विश्वविद्यालय भवन सिंदरी विधानसभा क्षेत्र के तहत आता है। विधायकों में नाम दिया गया सिर्फ धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा का। राज के विधानसभा क्षेत्र में विश्वविद्यालय भवन भी नहीं है। इससे भाजपा विधायक इंद्रजीत महतो के समर्थक भड़क गए हैं। धनबाद के विधायक राज सिन्हा को छोड़कर दूसरे विधानसभा क्षेत्र के विधायक भी नाराज हैं। टुंडी के विधायक और सत्ताधारी झामुमो के वरिष्ठ नेता मथुरा प्रसाद महतो ने तो इशारे ही इशारे में साफ कर दिया है कि इस साजिश के पीछे किसकी चाल है। 

सिंदरी विधायक बीमार, हैदराबाद में चल रहा इलाज

सिंंदरी के भाजपा विधायक इंद्रजीत महतो की स्थिति गंभीर है। वह पिछले तीन महीने से बहोशी हाल में हैं। हैदराबाद में उनका इलाज चल रहा है। इसका फायदा उठाते हुए बीबीएमकेयू के उद्घाटन शिलापट्ट से उनका नाम गायब करवा दिया गया। 22 जुलाई को बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के नए भवन का आनलाइन उद्घाटन राज्यपाल रमेश बैस और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया था। इस समारोह में लगाए गए शिलापट्ट में स्थानीय विधायक इंद्रजीत महतो का नाम अंकित नहीं किया गया। इस पर सिंदरी के भाजपा नेताओं व विधायक समर्थकों ने शनिवार को जमकर बवाल काटा। पूरे सिंदरी विधानसभा क्षेत्र में कुलपति का पुतला फूंका गया व नारेबाजी की गई। गलती का अहसास होने पर कुलपति अंजनी कुमार श्रीवास्तव विधायक की पत्नी मीरा देवी से माफी मांगने पहुंचे जहां उनकी शराफत से क्लास ली गई।

क्यों आक्रोशित थे समर्थक

विधायक समर्थकों का आक्रोश इस बात को लेकर था कि विश्वविद्यालय का नया भवन सिंदरी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आता है। ऐसे में शिलापट्ट पर सिंदरी विधायक इंद्रजीत महतो की गरिमामयी उपस्थिति में उद्घाटन हुआ यह लिखा जाना चाहिए था। ऐसा न कर कुलपति ने जनप्रतिनिधि को अपमानित किया है। उन्होंने इस संबंध में कुलाधिपति, मुख्यमंत्री व विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की बात कही।

आधे घंटे इंतजार के बाद हुई पेशी

कुलपति अंजनी कुमार श्रीवास्तव शाम पांच बजे के लगभग विधायक इंद्रजीत महतो के बलियापुर स्थित पर्जन्य बीएड कॉलेज पहुंचे। उस वक्त विधायक की पत्नी मीरा देवी सचिव के कक्ष में थीं। उन्होंने कुलपति को प्राचार्य के कक्ष में बैठने को कहा। तकरीबन आधे घंटे कार्यकर्ताओं से विचार-विमर्श करती रहीं। तब तक कुलपति अपने परीक्षा नियंत्रक सत्यजीत सिंह के साथ कमरे में बैठे रहे। आधे घंटे बाद उन्हें कॉलेज के प्रांगण में बुलाया गया। एक तरफ मीरा देवी थीं तो दूसरी ओर कुलपति व परीक्षा नियंत्रक को बैठाया गया। चारों तरफ कार्यकर्ता बैठे थे। यहां कुलपति ने अपनी सफाई पेश की।

कार्यकर्ताओं ने पूछे पांच सवाल

इस अघोषित जन अदालत में कार्यकर्ताओं ने कुलपति से पांच सवाल पूछे। गुरु पूर्णिमा पर शिक्षक के नाते सम्मान करने की बात कहते हुए भाजपा किसान मोर्चा के ग्रामीण जिला अध्यक्ष ने पांच सवाल पूछे। उनका कहना था कि विधायक को सूचना क्यों नहीं दी गई, शिलापट्ट पर विधायक इंद्रजीत महतो का नाम क्यों नहीं अंकित किया गया, अधूरे निर्माण कार्य को पूरा किए बगैर उद्घाटन क्यों, बीमार विधायक को इस तरह की खबर हानि पहुंचा सकती है, इस कृत्य को जनप्रतिनिधि के विशेषाधिकार का हनन क्यों नहीं माना जाए।

नहीं किया विशेषाधिकार का हनन

कुलपति ने टोकाटाकी के बीच पांचो प्रश्नों का उत्तर दिया। बताया कि ईमेल के जरिए सभी को सूचना दी गई। इसमें इंद्रजीत महतो समेत सभी विधायक शामिल हैं। शिलापट्ट पर किसी का नाम अंकित नहीं किया। इंद्रजीत महतो को अपना अभिन्न मित्र बताते हुए वीसी ने कहा कि उन्हें जानकारी ही नहीं थी कि यह सिंदरी विधानसभा क्षेत्र में आता है। भेलाटांड़ का उल्लेख गूगल में भी शहर, पिन कोड हर मामले में भी धनबाद ही बताया जाता है। इसी वजह से गलती हुई जिसके लिए वे क्षमाप्रार्थी हैं। इसे विशेषाधिकार का हनन न माना जाए।

आधे घंटे बाद फिर सुनवाई

सवाल-जवाब के बाद वीसी को फिर कमरे में भेज दिया गया। उन्होंने अकेले में मीरा देवी से बातचीत की पेशकश की जिसे ठुकरा दिया गया। आधे घंटे बाद वे कार्यकर्ताओं के बीच फिर विधायक की पत्नी मीरा देवी के पास पहुंचे व समाधान पूछा। कार्यकर्ताओं ने एक स्वर से शिलापट्ट में नाम जुड़वाने की बात कही। कुलपति का कहना था कि यह मुश्किल है। चूंकि उद्घाटन राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने किया है लिहाजा अब संशोधन संभव नहीं। कोई और रास्ता निकालें। इस पर मीरा देवी ने कहा कि वे राज्यपाल से मिलेंगी। दूसरा कोई रास्ता नहीं है। विधानसभा की 81 हजार जनता आहत है। वे उनकी भावनाओं से समझौता नहीं कर सकतीं। इसके बाद कुलपति वहां से रवाना हो गए।

शिलापट्ट में संशोधन करने की चेतावनी

कार्यकर्ताओं ने बहस के बीच कुलपति के खिलाफ नारेबाजी भी की। कहा कि आप संशोधन नहीं कर सकते तो हमलोग कर देंगे। वह शिलापट्ट रहेगा नहीं यह जान लीजिए। जन अदालत में भाजपा नेता मुकेश पांडे, संजीव चौधरी, अरविंद सिंह, मिथिलेश राम, श्याम मोहन सिंह, मोहित मिश्रा सहित सौ से ऊपर कार्यकर्ता थे।

यह किसके इशारे पर हुआ, समझना मुश्किल नहीं

इस पूरे प्रकरण में झामुमो विधायक मथुरा प्रसाद महतो ने भी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा है-मुझे तो कार्यकर्म में आमंत्रित भी नहीं किया गया। शिलापट्ट पर सिंदरी विधायक इंद्रजीत महतो का नाम न होना गंभीर मामला है। विधायक को विश्वविद्यालय प्रशासन भूल जाए, यह हो नहीं सकता। यह एक साजिश है। इंद्रजीत का नाम होना ही चाहिए था। इसके बजाय धनबाद के विधायक राज सिन्हा का नाम दर्ज है। यह सब किसके इशारे पर किया गया, यह समझना मुश्किल नहीं है। 

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