SAIL: इस्‍पात कारखाने में दहकते लोहे से नहीं लगेगी आग, बरसेगा पानी; दुर्गापुर में तैयार हुआ आटोमेटिक वाटर स्प्रेइंग सिस्टम

SAIL आटोमेटिक वाटर स्प्रेइंग सिस्टम में दो सेंसर का प्रयोग होता है। एक सेंसर आग के नारंगी रंग व दूसरा मानक से अधिक तापमान की पहचान करेगा। कई बार लोहे का टुकड़ा गर्म तो बहुत होता है मगर दहकता नहीं उससे भी आग लग सकती है।

By MritunjayEdited By: Publish:Mon, 04 Oct 2021 06:40 AM (IST) Updated:Mon, 04 Oct 2021 08:10 PM (IST)
SAIL: इस्‍पात कारखाने में दहकते लोहे से नहीं लगेगी आग, बरसेगा पानी; दुर्गापुर में तैयार हुआ आटोमेटिक वाटर स्प्रेइंग सिस्टम
स्टील प्लांट में तरल इस्पात ( फाइल फोटो)।

हृदयानंद गिरि, दुर्गापुर। इस्पात कारखानों में लौह अयस्क से इस्पात बनता है। इस प्रक्रिया में लोहे के गर्म टुकड़ों को ठंडा कर कन्वेयर बेल्ट से एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता है। कन्वेयर बेल्ट रबर की होती है। कई बार ऐसा भी होता है कि दहकता लोहा कन्‍वेयर बेल्‍ट तक पहुंचता है। इससे आग भड़क जाती है। बेल्ट जलने के नुकसान के साथ आग फैलकर कारखाने को भी चपेट में ले सकती है। जान माल के खतरे से बचने के लिए दुर्गापुर इस्पात संयंत्र के इंजीनियर सह महाप्रबंधक (इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट ) गौतम कुमार मंडल ने एक तकनीक ईजाद की है। जो लोहे के गर्म टुकड़े की पहचान करेगी, जल का छिड़काव भी अलार्म बजने के साथ स्वत: होने लगेगा। गर्म लोहा ठंडा हो जाएगा, कन्वेयर बेल्ट के जलने की आशंकाओंं पर विराम लग जाएगा। तकनीक का नाम आटोमेटिक वाटर स्प्रेइंग सिस्टम दिया गया है। भारत सरकार के पेटेंट विभाग ने इस साल 28 जुलाई को इसे मान्‍यता भी दे दी है।

यूं काम करेगी तकनीक

इस सिस्‍टम में दो सेंसर का प्रयोग होता है। एक सेंसर आग के नारंगी रंग व दूसरा मानक से अधिक तापमान की पहचान करेगा। कई बार लोहे का टुकड़ा गर्म तो बहुत होता है मगर दहकता नहीं, उससे भी आग लग सकती है। इसलिए तापमान सेंसर भी लगाया गया है। यदि दोनों में से कोई भी बिंदु सेंसर पकड़ लेगा तो इलेक्ट्रानिक सर्किट यूनिट को संदेश भेजेगा। पूरी यूनिट इस संदेश से एक्टिव जो जाएगी। जो पानी के छिड़काव का संदेश जारी करेगी। नतीजा स्प्रेयर के आटोमेटिक वाल्ब चालू होंगे। सिस्‍टम से जुड़े पाइप में भरे पानी का छिड़काव होने लगेगा। अलार्म भी बजेगा। सेंसर व इलेक्ट्रानिक सर्किट यूनिट के सिस्‍टम को तैयार करने में करीब पांच हजार रुपये खर्च हुए हैं। गौतम ने बताया कि‍ कुछ साल पहले सिंटर प्लांट में गर्म लोहे से आग लगी थी। कन्‍वेयर बेल्‍ट जली थी, तब ऐसी तकनीक की खोज का विचार आया।

प्‍लांट में आग लगने से करोड़ों का हुआ था नुकसान

साल 2011 में दुर्गापुर स्‍टील प्‍लांट में दहकते लोहे के कारण आग लगी थी। दो दिन उत्‍पादन बंद हो गया था। करोड़ों का नुकसान हुआ था। दहकते लोहे को ठंडा करने को लगातार पानी गिराने की व्‍यवस्‍था भी नहीं हो सकती, क्‍योंकि लगातार पानी डालने से लोहे की गुणवत्‍ता खराब हो सकती है। गौतम कहते हैं कि जिन कारखानों में कन्‍वेयर बेल्‍ट से गर्म सामग्री ले जाई जाती है वहां भी यह तकनीक बहुत कारगर हो सकती है।

हमारे अधिकारी की खोज शानदार है। उसे पेटेंट मिला है, जो गर्व की बात है। गौतम हमेशा नया करने की कोशि‍श करते हैं। उनकी इस तनकीक का इस्‍तेमाल किया जा रहा है।

-असराफुल हुसैन मजूमदार, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, दुर्गापुर इस्पात संयंत्र

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