कोरोना के कारण टूट गई 50 वर्षों पुरानी परंपरा, गुरुद्वारों में इस बार भी नहीं मनेगी बैसाखी

खालसा पंथ का स्थापना दिवस हर वर्ष 13 अप्रैल को भव्य रूप में मनाया जाता है। सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने 13 अप्रैल 1699 को खालसा पंथ की स्थापना अनंदपुर साहिब में की थी।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Publish:Wed, 07 Apr 2021 04:37 PM (IST) Updated:Wed, 07 Apr 2021 04:37 PM (IST)
कोरोना के कारण टूट गई 50 वर्षों पुरानी परंपरा, गुरुद्वारों में इस बार भी नहीं मनेगी बैसाखी
प्रकाश पर्व के आयोजन की प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

जागरण संवाददाता, धनबाद: खालसा पंथ का स्थापना दिवस हर वर्ष 13 अप्रैल को भव्य रूप में मनाया जाता है। सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने 13 अप्रैल 1699 को खालसा पंथ की स्थापना अनंदपुर साहिब में की थी। हिंदू व सिख धर्म के लोग इस त्योहार को आपस में मिल कर मनाते हैंं। हिंदू धर्म इस त्योहार को बिक्रमी नव वर्ष के आगमन के रूप में मनाता है।

लगातार दूसरे साल नहीं मनेगी बैसाखी: कोरोना वायरस से आम जनमानस को सुरक्षित रखने के लिए धनबाद का सिख समाज लगातार दूसरे वर्ष गुरुद्वारों में बैसाखी नहीं मनाएगा। बैंक मोड़ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के उपाध्यक्ष गुरजीत सिंह ने बताया कि 12 अप्रैल को श्री गुरु तेग बहादुर जी का प्रकाश पर्व और 13 को बैसाखी के आयोजन को अगले आदेश तक निरस्त कर दिया गया। पंजाब से रागी जत्था बुलाया जाना था, उन्हें भी मना कर दिया गया है। पिछले वर्ष भी कोविड-19 की वजह से कार्यक्रम नहीं हो सका था। इस बार उम्मीद थी कि शबद कीर्तन और अन्य कार्यक्रम होंगे, लेकिन कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। इसे देखते हुए फिलहाल सभी कार्यक्रम रद्द करने का फैसला लिया गया है।

सरकार की ओर से जारी कोविड-19 के नए निर्देश को लेकर भी कमेटी ने यह फैसला लिया है। गुरजीत सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा यदि कोई नया आदेश आएगा तो फिर से मनाने पर विचार किया जाएगा। शहर के सभी गुरुद्वारों में संगतों का प्रवेश कोविड-19 का पालन करते हुए ही होगा। गुरुद्वारे के सेवादार और हेड ग्रंथी अंदर ही गुरु ग्रंथ साहिब पर प्रकाश कर रहे हैं। संगतों से घर में ही प्रभु सिमरन करने की अपील की गई है।

कोविड-19 के चलते पिछले वर्ष नहीं निकला नगर कीर्तन, 50 वर्षों में ऐसा कभी नहीं हुआ: कोरोना संक्रमण ने सभी पर्व त्योहारों को समेट कर रख दिया। हर धर्म इस बार एहतियात बरत रहा है। सिखों के प्रथम गुरु श्रीगुरु नानक देव जी के 551वें प्रकाश पर्व यानी गुरुपर्व पर पिछले वर्ष नवंबर माह में निकलने वाला नगर कीर्तन भी स्थगित कर दिया गया था। गुरुपर्व पर एक-दो दिन पहले झरिया के कोइरीबांध से बैंक मोड़ तक नगर कीर्तन यानी शोभायात्रा का आयोजन किया जाता है। यह परंपरा 1960 से चली आ रही है। पहली बार है कि इन 50 वर्षों में नगर कीर्तन नहीं निकला। कोविड-19 संक्रमण को देखते हुए आयोजनकर्ता बैंक मोड़ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने नगर कीर्तन नहीं निकालने का निर्णय लिया था।

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