Dhanbad स्वास्थ्य विभाग का कमाल, जिस व्यक्ति का किया नसबंदी, फिर से बन गया वह पिता...पढ़िए पूरी खबर
छोटा परिवार सुखी परिवार का आधार होता है... इसी थीम पर स्वास्थ्य विभाग जिले में परिवार नियोजन कार्यक्रम चला रहा है। लेकिन कभी-कभी ऑपरेशन भी असफल हो जाते हैं। जिसका खामियाजा फिलहाल निरसा के अशोक पासवान उठा रहे हैं।
मोहन गोप, धनबाद: छोटा परिवार सुखी परिवार का आधार होता है... इसी थीम पर स्वास्थ्य विभाग जिले में परिवार नियोजन कार्यक्रम चला रहा है। लेकिन कभी-कभी ऑपरेशन भी असफल हो जाते हैं। जिसका खामियाजा फिलहाल निरसा के अशोक पासवान उठा रहे हैं। दरअसल, पिछले वर्ष 2020 में अशोक ने निरसा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की देखरेख में नसबंदी कराया था। घर से पहले से बच्चे थे, तो सोचा चलो, नसबंदी करा कर परिवार नियोजन में मदद करें। अशोक को लगा नसबंदी के बाद अब वह पूरी तरह ठीक है, आगे बच्चे की भी इच्छा नहीं थी। लेकिन नसबंदी के बावजूद वह फिर से पिता बन गए। अशोक इससे घबरा गए। इसके बाद उन्होंने स्वास्थ्य विभाग पर मुआवजा के लिए दावा कर दिया। स्वास्थ्य विभाग को उन्होंने आवेदन देकर घटना की जानकारी देते हुए मुआवजा की मांग की है।
मेडिकल बोर्ड करेगी सीमेन की जांच
मामला प्रकाश में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग भी सकते में आ गया है। सिविल सर्जन कार्यालय ने निरसा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से संबंधित तमाम इलाज और नसबंदी के कागजात की मांग की है। किस डाक्टर ने नसबंदी की, इसकी भी सूची मांगी है। मरीज का ऑपरेशन के समय का बीएचटी भी मांगा है। इसके बाद विभाग की कार्रवाई के लिए शुरू हो गया है। पीड़ित का शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसएनएमएमसीएच) में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम से मेडिकल बोर्ड कराया जाएगा। मेडिकल सीमेन की जांच की जाएगी। सीमेन पास हो रहा है अथवा नहीं, रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की करवाई होगी। अशोक प्राइवेट नौकरी करते हैं, पहले से उन्हें दो बच्चे हैं।
सही हुआ दावा, तो पीड़ित को मिलेंगे 30 हजार रुपये
परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत यदि नसबंदी और बंध्याकरण के होने के बाद ऑपरेशन असफल हो जाते हैं। तो उन्हें मुआवजा देने का प्रावधान सरकार ने तय किया है। बंध्याकरण करने वाली महिला फिर से गर्भवती हो जाती है, अथवा नसबंदी कराने वाले पुरुष पिता बन जाते हैं, तो उन्हें 30 हजार रुपए मुआवजा देने का प्रावधान है।
जोड़ा फाटक की महिला भी हो गई थी गर्भवती
जोड़ा फाटक की एक महिला भी बंध्याकरण ऑपरेशन के बाद गर्भवती हो गई थी। वर्ष 2015 में एक शिविर में बंध्याकरण हुआ था। इसके बाद तमाम जांच की गई। महिला का दावा सही पाया गया। अंततः स्वास्थ्य विभाग की ओर से 30 हजार रुपए बतौर मुआवजा दिया गया था। मामला काफी चर्चे में रहा था।
वर्जन
पीड़ित व्यक्ति के लिए मेडिकल जांच कराई जाएगी। कुछ टेस्ट से गुजरना होगा। सब कुछ सही पाया गया, तो उन्हें बतौर मुआवजा 30 हजार रुपए दिए जाएंगे।
डाॅ. गोपाल दास, सिविल सर्जन, धनबाद