यमराज बन चुके गजराज के आगे वन विभाग बेबस, कागजों में सिमटी हाथियों के लिए अभ्यारण की योजना
गजराज के भटकते कदम को संभालने में सरकार नाकाम है। कोयलांचल से लेकर संथाल तक हाथियों का कहर है। हाथियों के मामले में वन विभाग पूरी तरह फेल है उनसे निपटने के नाम पर एक जिले से दूसरे जिले में भेज दिया जाता है।
जागरण संवाददाता, धनबाद: गजराज के भटकते कदम को संभालने में सरकार नाकाम है। कोयलांचल से लेकर संथाल तक हाथियों का कहर है। हाथियों के मामले में वन विभाग पूरी तरह फेल है उनसे निपटने के नाम पर एक जिले से दूसरे जिले में भेज दिया जाता है। इस मामले में विभाग पूरी तरह बेबस नजर आ रहा है।
दरअसल इन पर काबू पाने की कोई योजना ही सरकार के पास नहीं है। गुरुवार को टुंडी में हाथियों का कहर देखने को मिला, जब टुंडी के मछुआरा इलाके में एक महिला को कुचल कर उसकी जान ले ली। पिछले 10 साल में हाथियों का झुंड तीन जिलों में ही घूम रहा है। धनबाद वन क्षेत्र से बाहर करने पर हाथियों का झुंड जामताड़ा पहुंच जाता है। वहां से जब उन्हें खदेड़ा जाता है तो फिर गिरीडीह पहुंच जाते हैं। इस तरह एक सीमा से दूसरे जिले की सीमा में भेज कर वन विभाग अपना-अपना पल्ला झाड़ रहे हैं, लेकिन सवाल है कि इतने मौत के बाद भी इन पर काबू पाने के लिए न तो विभाग और न हीं सरकार कुछ कर रही है। बताते चले कि इसके पूर्व भी टुंडी के दोमुंडा गांव में हाथियों के झुंड ने क्रिस्टो मल्हार की 11वर्षीय पुत्री की जान ले ली थी। वहीं विनोद मल्हार के आठ वर्षीय पुत्र की को भी हाथियों ने ही मार डाला था।
अधर में कॉरिडोर बनाने की योजना: पांच साल पहले वन विभाग ने राज्य सरकार के पास टुंडी पहाड़ी में हाथियों के लिए कोरिडोर बनाने की योजना का प्रस्ताव दिया था लेकिन आज तक यह सरकार के पास फाइलों में ही लटकी है। अभी कुछ दिन पूर्व ही टुंडी के जंगलों में 200 हेक्टेयर में हाथियों के लिए अभ्यारण बनाने की योजना बनी थी, लेकिन वह भी कागजों तक ही सिमट कर रह गई।