पिछले साल पापा छोड़ गए तब से निभा रहे उनसे किया वादा; Dhanbad में बांट रहे दूसरों का दर्द

कोरोना की दो लहरें हजारों हंसते-मुस्कुराते परिवारों पर कहर बनकर टूटी। जिन परिवारों में अपनों की हंसी गूंजती थी वहां मातम छा गया। विपदा की इस घड़ी में लोग अपनों के साथ खड़े थे हैं और रहेंगे। उनकी कोशिश है कि दूसरे अब अपनों को न खोएं ।

By Atul SinghEdited By: Publish:Fri, 11 Jun 2021 03:31 PM (IST) Updated:Fri, 11 Jun 2021 03:31 PM (IST)
पिछले साल पापा छोड़ गए तब से निभा रहे उनसे किया वादा; Dhanbad में बांट रहे दूसरों का दर्द
कोरोना की दो लहरें हजारों हंसते-मुस्कुराते परिवारों पर कहर बनकर टूटी। (फाइल फोटो)

धनबाद, जेएनएन : कोरोना की दो लहरें हजारों हंसते-मुस्कुराते परिवारों पर कहर बनकर टूटी। जिन परिवारों में अपनों की हंसी गूंजती थी, वहां मातम छा गया। विपदा की इस घड़ी में लोग अपनों के साथ खड़े थे, हैं और रहेंगे। कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने अपनों को खो दिया पर उनकी कोशिश है कि दूसरे अब अपनों को न खोएं और इसके लिए उनके साथ भी खड़े हैं। ऐसी ही एक युवा शख्सीयत हैं धनबाद के होटल कारोबारी रंजीत श्रीकांत सिंह जो अपने पिता से किया वादा निभा रहे हैं।

गोविंदपुर में  बिजनेस होटल भिवाना के सीईओ अपने व्यस्त कारोबार और दिनचर्या के बीच जब भी वक्त मिल जाए, उसे दूसरों को दे रहे हैं। अभी हाल ही में उन्होंने रेड क्रॉस सोसाइटी को 40 हजार रुपये आम लोगों की सहायता के लिए सौंपा है। दूसरे जरूरतमंदों के लिए भी उनका दरबार खुला है।

गुजरे वक्त को याद कर रंजीत थोड़े भावुक हो उठे। कहा, पिछले साल उनके पिता श्रीकांत सिंह उन्हें छोड़ गए। हालांकि उनका निधन कोविड की वजह से नहीं हुआ बल्कि हृदयाघात से उनकी सांसें थम गईं। बचपन से ही पिता को सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय देखा था। जब भी किसी को कोई जरूरत होती उनके पिता हर कदम पर साथ रहते थे। उनकी दिली ख्वाहिश थी कि बेटा उनकी वीरासत संभाले और समाज के साथ खड़ा रहे। पिता के छोड़ जाने से कुछ दिनों तक तो रंजीत तकलीफों में डूबे रहे। मगर फिर दूसरों के लिए उन्होंने खुद को तैयार कर लिया। रंजीत बताते हैं कि पिछले दिनों ऑक्सीजन और बेड की किल्लत से जूझते शहरवासियों को कुछ हद तक राहत देने की कोशिश की।  

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