झरिया में केवल रघुकुल व सिंंह मेंशन ही नहीं भिड़ते, यहां सांडोंं के बीच भी होता घमासान
झरिया में केवल सिंंह मेंशन व रघुकूल के बीच ही खूनी संघर्ष देखने को नहीं मिलता। बल्कि आए दिन यहां आपको सांडों के बीच भी भींड़त देखने को मिल जाता है। अब जैसे इन दोनों गुटों पर किसी का कंट्रोल नहीं है।
झरिया, जेएनएन: झरिया में केवल सिंंह मेंशन व रघुकुल के बीच ही खूनी संघर्ष देखने को नहीं मिलता। बल्कि यहां आए दिन आपको सांडों के बीच भी भिड़ंत देखने को मिल जाएगा। अब जैसे इन दोनों गुटों पर किसी का कंट्रोल नहीं है, वैसे ही सांडेंं भी बैखौफ हो कर सड़को पर एक दूसरे से फरियाते नजर आते है। अब बेचरे लोग भी करें तो क्या करें? चुपचाप अपना बचाव करते रहते है। आखिर फरियाद सुनाएं भी तो किसको। सांडेंं भी अपना वर्चस्व कायम रखने की होड़ में एक दूसरे से भिड़ते रहते है। और इस लड़ाई में सबसे ज्याद नुकसान जिसका होता है, वे है आम लोग, राहगीर व दुकानदार भाइयोंं का।
दुकानदार व राहगीर में समाया खौफ
पहले से ही झरिया में भय व आंतक के सांए में लोग जीवन जीने को मजबूर थे। अब इन सांडों ने इनकी धड़कने और बढ़ा दी है। कोई कब इनके चपेटे में आ जाए कोई नहीं जानता। सांडों की बेतहाशा संख्या से दुकानदार व वाहन चालक काफी परेशान है। झरिया में बने कचरेे के अंबार में भोजन की तलाश में रोजाना आवारा सांडों व पशुओं का आना-जाना लगा रहता है। जिस वजह से आए दिन राहगीरों के साथ घटनाएं होती रहती है। इन समस्याओं के बावजूद यहां के जनप्रतिनिधि व नगर निगम समस्याओं को दूर करने में विफल साबित हो रहेे है। शुक्रवार की सुबह भोजन की तलाश में आवारा दो सांड भोजन की तलाश में झरिया के टैक्सी स्टैंड समीप पहुंचे। इसी दौरान दोनों सांड आपस में भिड़ गए। भिड़ने से आसपास के लोगों में अफरा-तफरी मच गई। लगभग 1 घंटे तक दोनों सांडों ने उक्त स्थान पर तांडव किया। मौजूद स्थानीय लोगों ने उन दोनों सांड पर पानी का छिड़काव कर भगाने की कोशिश कर उसे भगाया। झरिया क्षेत्र में सांडो का आतंक बना हुआ है। बताते चलें कि विगत कुुछ दिनों से बाटा मोड़ से लक्ष्मनिया मोड़ जाने वाले रास्ते से गुजरने वाले दो दर्जन से भी अधिक चारपहिया वाहनों को क्षतिग्रस्त कर चुके है। दुकानदार जान हथेली में रखकर पानी व लाठियों से भगाने की कोशिश करते है।