हिंसक हुई मधुमक्खियां, गिरिडीह में एक सप्ताह में दो भाई समेत चार की ली जान

सेरुआ निवासी 75 वर्षीय वृद्धा समेत अमतरो की 5 महिलाओं को मधुमक्खियों ने काटकर जख्मी कर दिया था। ये सभी महिलाएं जंगल की ओर जलावन लाने गई थीं। इन महिलाओं को आनन फानन में गावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया गया था।

By MritunjayEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 05:53 PM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 05:53 PM (IST)
हिंसक हुई मधुमक्खियां, गिरिडीह में एक सप्ताह में दो भाई समेत चार की ली जान
गिरिडीह में बढ़ा मधुमक्खियों का हमला ( सांकेतिक फोटो)।

संवाद सहोगी,गावां, (गिरिडीह)। इन दिनों गावां प्रखंड में मधुमक्खियों के हमले के कारण लोगों में दहशत का माहौल है। हो भी क्यों न एक हफ्ते के अंदर मधुमक्खियों के हिंसक रूप ने चार लोगों की जान ले ली है। बावजूद इसके न तो पीड़ित स्वजनों को किसी तरह का कोई मुआवजा ही मिल पाया है और न ही कोई मदद। सरकार की ओर से मधुमक्खियों के काटने से मौत होने पर किसी तरह के मुआवजे का प्रावधान नहीं है। समाज भी ऐसे पीड़ित स्वजनों की मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है।

खेत में काम करने के दाैरान बोला हमला

सोमवार को सेरुआ निवासी 75 वर्षीय वृद्धा समेत अमतरो की 5 महिलाओं को मधुमक्खियों ने काटकर जख्मी कर दिया था। ये सभी महिलाएं जंगल की ओर जलावन लाने गई थीं। इन महिलाओं को आनन फानन में गावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया गया था जहां से चौयसी देवी को बाहर रेफर किया गया था। उसकी मौत इलाज के दौरान सदर अस्पताल में हो गई थी। इसके पूर्व चार सितंबर को हुई घटना में हरला निवासी चंद्रदेव यादव समेत चार लोगों को खेत में काम करने के दौरान मधुमक्खियों के झुंड ने काटकर घायल कर दिया था। इस घटना में हरला निवासी 45 वर्षीय चंद्रदेव यादव गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसे प्राथमिक उपचार गावां में कराने के बाद धनबाद ले जाया गया था। छह सितंबर को इलाज के दौरान उनकी भी मौत हो गई। वह परिवार का इकलौता कमाऊ सदस्य था। उसकी पत्नी सावित्री देवी की तो मानो दुनियां ही उजड़ गई। उसके समक्ष पांच बेटियों व दो बेटों को पालने की जिम्मेदारी बढ़ गई है। चंद्रदेव यादव की मौत के बाद स्वजनों को घर परिवार चलाने में भी समस्या उत्पन्न हो गई है। कहीं से किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली है। गावां के नीमाडीह बघजंत में आठ सितंबर की सुबह दिल को दहलानेवाली घटना हुई थी। यहां नारायण भूला का 12 वर्षीय पुत्र गौतम भूला व 10 वर्षीय पुत्र उत्तम भूला बकरी चराने बुआ व फूफा के साथ देवानी जंगल की ओर गया था। वहां पत्ता तोड़ने के दौरान मधुमख्खियों के झुंड ने हमला कर दोनों मासूम बच्चों को घायल कर दिया। बमुश्किल बुआ व फूफा उसे किसी तरह से घर लेकर आए जहां रात में उनकी स्थिति गंभीर हो गई व सुबह जब तक अस्पताल लाते दोनों ने दम तोड़ दिया। एक ही घर में दो मासूम बच्चों की मौत ने पूरे परिवार को झकझोर दिया व गांव में मातम पसर गया। अब तक उन्हें मदद के रूप में मुखिया के कहने पर केवल 50 किलो अनाज मिला है। बच्चों की मां कमली देवी लगातार रो रही हैं। उसके परिवार में दो मासूम बेटों की मौत के बाद अब दो छोटी बेटियां व एक दो साल का बेटा है। इधर लगातार हो रहे मधुमक्खियों के हमले से मौत ने लोगों में भय का माहौल उत्पन्न कर दिया है। लोग जगंल की तरफ जाने से कतराने लगे हैं। इधर गावां वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी अनिल कुमार ने कहा कि विभाग के पास मधुमक्खियों के हमले से मृत लोगों के लिए कोई मुआवजे का प्रावधान नहीं है। जब यह पूछा गया कि मधुमक्खियों के छत्ते को हटाए जाने का कोई उपाय है क्या तो उन्होंने कहा कि ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। वे इस संबंध में डीएफओ से बात कर बताएंगे। गावां के सीओ अरुण कुमार खलखो ने कहा कि इसमें मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है।

मधुमक्खी से काटने से गरीब बच्चे की मौत पर किसी ने नहीं ली सुध

सिंघो दलित गांव के कौलेश्वर तुरी के द्वितीय पुत्र 10 वर्षीय विशाल कुमार की मौत मधुमक्खी काटने से बीते 30 अगस्त हो गई थी। पीड़ित कौलेश्वर दैनिक मजदूर है। जहां काम मिल जाता है काम कर वह अपने परिवार का भरण पोषण करता है। काम नहीं मिलने पर पहाड़ व जंगल में ढिबरा भी चुन कर गुजारा करता है। कौलेश्वर की पत्नी के अलावे चार संतानें हैं। गरीबी के कारण हरिजन टोला में मिट्टी का एक कमरे व एक जर्जर ईंट के कमरे में रहने को वह विवश है। कौलेश्वर ने बताया कि रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं है। मनरेगा में भी काम नहीं मिलता। यदि काम मिला भी तो मजदूरी के लिए इंतजार करना पड़ता है। यहां तो प्रतिदिन कमाओ और पकाओ वाला स्थिति है। मधुमक्खी के काटने से हुई पुत्र की मौत से घर में काफी मायूसी है। किसी अधिकारी व जनप्रतिनिधि ने कोई सुध तक नहीं ली है और न ही हम जैसे गरीब परिवार को सरकारी आवास मिला है। सरकारी आवास की मांग करने पर पंचायत सेवक व मुखिया कुछ भी नहीं बोलते। वहीं स्थानीय एक समाजसेवी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि सरकारी आवास अधिकांश पैसेवालों को मिला है। सिंघो पंचायत ही नहीं लगभग सभी पंचायतों में जरूरतमंद लोगों को राशि नहीं देने के कारण इस योजना से वंचित कर दिया गया।

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