Jharkhand Health System: गांवों की स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के प्रति गंभीर नहीं सरकार, धनबाद में अनुबंध पर बहाल 31 चिकित्सक उपेक्षा से आहत होकर दे चुके इस्तीफा

Jharkhand Health System झारखंड में स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एंव परिवार कल्याण विभाग द्वारा 2018 में कुल 208 डाक्टरों को एक साल के अनुबंध पर बहाल किया गया था। इस दौरान धनबाद में भी इसी आधार पर बहाल 34 डाक्टरों की नियुक्ति की गयी। हर साल इनका अनुबंध रिन्यू होता रहा।

By MritunjayEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 06:43 AM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 11:54 AM (IST)
Jharkhand Health System: गांवों की स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के प्रति गंभीर नहीं सरकार, धनबाद में अनुबंध पर बहाल 31 चिकित्सक उपेक्षा से आहत होकर दे चुके इस्तीफा
झारखंड सरकार से संतुष्ट नहीं अनुबंध पर कार्यरत चिकित्सक ( सांकेतिक फोटो)।

अजय कुमार पांडेय, धनबाद। Jharkhand Health System राज्य में ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को चुस्त दुरूस्त करने का राग राज्य की सरकारें पिछले कई वर्ष से अलाप रही हैं। इसको लेकर कभी संजीदा तो कभी बेपरवाह होने वाली स्थिति भी दिखती रही है। इसी क्रम में इसको लेकर गंभीर हुई भाजपा नीत रघुवर दास सरकार ने तीन साल पहले अनुबंध पर चिकित्सकों की बहाली कर स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश की। उस समय योग्य चिकित्सकों को लुभाने के लिए आकर्षक वेतन एंव अन्य सुविधाओं का मसौदा तैयार किया गया। लेकिन समय बीतने के साथ सरकार द्वारा घोषित अधिकांश मसौदे महज वादों तक ही सिमट कर रह गए। नतीजा अकेले धनबाद में ही बहाल 34 में से 31 चिकित्सकों ने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। जिससे ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास समय से पहले ही दम तोड़ता दिख रहा है।

साल 2018 में 208 चिकित्सकों की अनुबंध पर हुई थी नियुक्ति

झारखंड में स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एंव परिवार कल्याण विभाग द्वारा 2018 में कुल 208 डाक्टरों को एक साल के अनुबंध पर बहाल किया गया था। इस दौरान धनबाद में भी इसी आधार पर बहाल 34 डाक्टरों की नियुक्ति की गयी। हर साल इनका अनुबंध रिन्यू होता रहा। लेकिन समय के साथ साथ सेवा सुविधाओं में इजाफा नहीं होने के कारण इन डाक्टरों के नौकरी छोड़कर जाने का सिलसिला जारी रहा। आज हालात यह है कि इनमें से 31 चिकित्सकों ने त्यागपत्र दे दिया है। जो तीन बचे हैं, उन्हें भी चिकित्सकीय कार्य की जगह प्रशासनिक कामों में उलझा कर रख दिया गया है। त्यागपत्र देनेवाले चिकित्सकों में से एक ने नाम नहीं छापने का अनुरोध करते हुए बताया कि उन लोगों को राज्य सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन से इतर अनुबंध पर बहाल किया था। उस समय कहा गया था कि एनआरएचएम से बेहतर पैकेज दिया जाएगा। लेकिन साल बीतते बीतते सच्चाई सामने आने लगी। एक तरफ जहां एनआएचएम के तहत बहाल डाक्टरों के मुकाबले उनको काफी कम मानदेय 51000 रुपये प्रति माह दिए जा रहे थे। वह भी प्रतिमाह पांच हजार के डिडक्शन के साथ। साथ ही उन अनुबंधित चिकित्सकों की तरह मिलनेवाले वेतनवृद्धि से भी वंचित रखा गया। अत: हमलोगों के पास नौकरी छोडऩे के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।

अब नहीं मिल रहे चिकित्सक

अब हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि नये सिरे से निकाले गए चिकित्सकों की बहाली के लिए तय कोटा भी भरना भी जिला प्रशासन और चिकित्सा विभाग के लिए मुश्किल हो गया है। इससे सहमति जताते हुए उपायुक्त संदीप सिंह ने बताया कि जिले को तीसरी लहर से बचाने के लिए मानव संसाधनों की कमी को दूर करने हेतू 85 डाक्टरों की बहाली डीएमएफटी से करने का निर्णय जून महीने में किया गया था, लेकिन काफी मशक्कत के बाद भी महज 58 डाक्टरों की ही बहाली संभव हो पायी है। जिन्हें एक सप्ताह के अंदर नियुक्ति पत्र दे दिया जाएगा। फिलहाल जिले में चिकित्सकों की जिस तरह से कमी बतायी जा रही है, उसे देखते हुए कोरोना की तीसरी लहर से मुकाबले की तैयारी को नाकाफी ही कहा जा सकता है।

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