Gajlitand Mine Mishap: 69 खनिकों ने ली थी जलसमाधि, 26 साल बाद भी मुआवजे को लेकर राह ताक रही अपनों को खोनेवालों की आंखें
26 साल पहले अत्यधिक बारिश के कारण उपनाए कतरी नाला का पानी गजलीटांड खान के चार और छह नंबर पिट में घुस गया था। अधिकारियों के लापरवाही के कारण करीब 110 से लेकर 165 मीटर की गहराई में काम कर रहे 64 मजदूरों की जिंदा जल समाधि बन गई थी।
जागरण संवाददाता, धनबाद। राम जनम सिंह की उम्र अब करीब 70 साल से उपर की हो चली है, लेकिन वह अब भी आज से 26 साल पहले की उस मनहूस रात को भूल नहीं पाते हैं, जिसने उनकी जिंदगी को आंशिक रूप से ही सही बदल दिया। वह अब बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में स्थित अपने पैतृक गांव में सूकुन से बाकी की जिंदगी बिता रहे हैं। लेकिन आज भी वह उस पल को याद कर सिहर उठते हैं, जब कोयला नगरी के नाम से मशहुर धनबाद के गजलीटांड के एक कोयला खदान में जिंदा 69 श्रमिकों की जल समाधि बन गई थी। जबकि अपने खुद की पुरूषार्थ पर भरोसा कर कुछ ले अपनी जान बचाने में सफलता पाई थी। उन्हीं भाग्यशाली लोगों में एक हैं राम जनम सिंह। लेकिन उन्हें आज भी एक चीज सबसे ज्यादा कचोटती है, वह है राज्य के साथ साथ केंद्र सरकार की वह असंवेदनहीनता, जिसके कारण आज भी उन्हें मुआवजे के लिए अधिकारियों के दरवाजे खटखटाने पड़ता है।
ऐसा नहीं है कि केवल उनके साथ ही ऐसा हो रहा है, बल्कि आज भी उस घटना में जांन गंवाने वाले दर्जनों श्रमिकों को आज भी मुआवजे की पूरी रकम मिलने का इंतजार है। कुछ को आंशिक रूप से फौरी राहत के तौर पर मुआवजा मिला तो था। लेकिन आज भी पूरी रकम कोयला कंपनियों ने उन्हें नहीं दिया। उल्ट इसके वे आज कल की बात कह लगातार आश्वासन पर आश्वासन जान गवाने वाले श्रमिकों के आश्रितों को दिए जा रहे हैं। लेकिन आज भी उनको इसके लिए कार्यालयों का चक्कर काटते देखा जा सकता है।
गौरतलब है कि आज से 26 साल पहले अत्यधिक बारिश के कारण उपनाए कतरी नाला का पानी गजलीटांड खान के चार और छह नंबर पिट में घुस गया था। लेकिन अधिकारियों के लापरवाही के कारण करीब 110 से लेकर 165 मीटर की गहराई में काम कर रहे 69 मजदूरों की जिंदा जल समाधि बन गई थी। जिनमें से कई के शव तो आज तक बरामद नहीें किए जा सके। राम जनम कहते हैं कि शहीदों की मजार पर हर बरस लगेंगे मेले की तर्ज पर काम कर रहे बीसीसीएल प्रबंधन और कर्मचारी एंव श्रमिक संगठनों को हर साल इसकी घटना में जान गंवाने वालों की याद में समारोह का आयोजन कर मृतकों को श्रद्धांजिल अर्पित करना याद तो रहता है, लेकिन उनके परिजनों को मुआवजे की भुगतान की याद किसी को भी नहीें है। इस साल भी लोग समारोह का आयोजन करने का नाटक कर रहे हैं। उनको भी बुलावा आया था। लेकिन उन्होंने जाने से इंकार कर दिया। इस बारे में पूछे जाने पर बीसीसीएल के सीएमडी पी.एम प्रसाद ने कहा कि शहीद हुए श्रमिकों के आश्रितों को पेंशन की जो भी प्रकिया होगी उसे देख लिया जायेगा। जबकि बाघमारा विधायक ढुलू महतो ने बीसीसीएल की करनी और कथनी में अंतर की बात कह अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि बीसीसीएल में जब भी ऐसी घटना घटती है तो ऐसे अधिकारियों पर तुरन्त करवाई होनी चाहिए। कार्रवाई नहीं होने से ऐसी घटनाएं होती रहती हैं।