जामताड़ा विधायक की पूजा करने पर सनातन धर्म मंच ने किया विरोध

संवाद सूत्र सारवां राष्ट्रीय सनातन धर्म मंच के प्रदेश प्रभारी दयानंद झा ने जामताड़ा विधायक इरफ

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 11:11 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 11:11 PM (IST)
जामताड़ा विधायक की पूजा करने पर सनातन धर्म मंच ने किया विरोध
जामताड़ा विधायक की पूजा करने पर सनातन धर्म मंच ने किया विरोध

संवाद सूत्र, सारवां: राष्ट्रीय सनातन धर्म मंच के प्रदेश प्रभारी दयानंद झा ने जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी द्वारा बाबा मंदिर में प्रवेश कर पूजा किए जाने के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए इसकी निदा की है। बताया कि धर्म की राजनीति व धर्म के साथ खिलवाड़ करना राजनेता बंद करें यह अनुचित है। किसी की आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं किया जाना चाहिए था। इसकी जितनी भी निदा की जाए कम है। राष्ट्रीय सनातन धर्म मंच इसकी निदा करती है। बाबा बैद्यनाथ हिदू सनातन धर्म के सर्वोपरि हैं। ऐसे में किसी धर्म और आस्था के साथ किसी राजनेता को राजनीति नहीं करनी चाहिए। वह भी चुनाव के समय में। सर्व सम्मति से कठोर शब्दों में कहा गया कि यदि ऐसे राजनेता धर्म की राजनीति और आस्था को ठेस पहुंचाने का कार्य करेंगे तो राष्ट्रीय सनातन धर्म मंच इसका विरोध करते हुए चरणबद्ध आंदोलन के लिए बाध्य होगा। इस अवसर पर प्रदेश प्रभारी डीके झा, राष्ट्रीय अनुशासन मंत्री विक्रम सिंह राठौर, जिला प्रभारी सूरज ठाकुर जिला अध्यक्ष दिनेश मंडल, जिला संगठन मंत्री सत्यम सिंह, जिला सचिव आलोक झा मौजूद थे।

गैर हिदू का गर्भ गृह में है प्रवेश वर्जित : बाबा मंदिर के गर्भ गृह में गैर हिदू का प्रवेश नहीं है। कई मुस्लिम अधिकारी, राजनेता यहां आए, प्रांगण तक ही रहे। लेकिन उनको गर्भगृह में प्रवेश नहीं करने दिया गया। पंडा धर्मरक्षिणी सभा के अध्यक्ष डॉ. सुरेश भारद्वाज ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते कहा है कि यह घोर अधार्मिक कार्य जामताड़ा विधायक की ओर से किया गया है। धर्मरक्षिणी सभा की ओर से इस घटना पर कड़ा विरोध दर्ज कराता हूं। बाबा बैद्यनाथ की स्पर्श पूजा करना गलत हुआ है। मंदिर प्रांगण आकर प्रणाम कर चले जाते तो वह आस्था होती। याद होगा कि केंद्रीय मंत्री फारूख अब्दुल्ला आए थे, वे तारा मंदिर के निकट खड़े होकर स्तुति वंदना कर चले गए थे। सांसद रहते फुरकान अंसारी ने अपने प्रतिनिधि के तौर पर मंदिर प्रबंधन बोर्ड में हरिशंकर पत्रलेख को मनोनीत कर दिया था। यह उच्च परंपरा को बनाए रखने का काम किया गया था। इसके अलावा भी कई घटनाक्रम है, यहां दाता साहब का लाया फूल बाबा को चढ़ता था। वह सिंह दरवाजा तक आते थे, वहां मंदिर के पुजारी जाकर फूल ले लेते थे और बाबा पर अर्पित होता था। बाबा मंदिर की यह उच्च परंपरा रही है। लेकिन अभी चुनावी समय में जो धार्मिक अपराध किया गया है वह स्वीकार नहीं है। राजनेताओं से आग्रह है कि बाबा मंदिर को अपनी घटिया राजनीति से बक्श दें।

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