आश्रम से हटाने के विरोध में कर्मियों का प्रदर्शन

सत्संग आश्रम से हटाए गए कर्मियों ने गुरुवार को आश्रम के गेट के समक्ष प्रदर्शन किया। इस दौरान कर्मियों ने आश्रम प्रबंधन के विरोध में जमकर नारेबाजी की। कर्मियों ने कहा कि आश्रम ने बगैर नोटिस किए उन्हें अचानक काम से हटा दिया है। इनके मुताबिक हटाए गए कर्मियों की संख्या दो सौ के आसपास

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 05:04 PM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 05:04 PM (IST)
आश्रम से हटाने के विरोध में कर्मियों का प्रदर्शन
आश्रम से हटाने के विरोध में कर्मियों का प्रदर्शन

जागरण संवाददाता, देवघर : सत्संग आश्रम से हटाए गए कर्मियों ने गुरुवार को आश्रम के गेट के समक्ष प्रदर्शन किया।

इस दौरान कर्मियों ने आश्रम प्रबंधन के विरोध में जमकर नारेबाजी की। कर्मियों ने कहा कि आश्रम ने बगैर नोटिस किए, उन्हें अचानक काम से हटा दिया है। इनके मुताबिक हटाए गए कर्मियों की संख्या दो सौ के आसपास है। इनमें से अधिकांश राज मिस्त्री, रंग मिस्त्री, बिजली मिस्त्री व बढ़ई के अलावा माली, साफ-सफाई व स्वीपर का काम करते हैं। कई लोग पिछले 40 वर्षों से आश्रम में कार्यरत है। इन्हें दैनिक पारिश्रमिक के आधार पर एक सप्ताह व 15 दिनों में भुगतान किया जाता रहा है। कर्मियों ने कहा कि आश्रम से हटाए जाने के बाद उनके समक्ष परिवार के भरण-पोषण की विकट समस्या खड़ी हो गई है। साथ ही यह भी आरोप लगाया कि आश्रम प्रबंधन स्थानीय लोगों को हटाते हुए बाहर के एजेंसी से काम ले रहा है। इन्होंने आश्रम प्रबंधन से मांग किया कि उन्हें प्राथमिकता देते हुए बाहरी एजेंसी के बजाए उनसे काम लिया जाए। सत्संग आश्रम में पिछले कई वर्षों से शहर से सटे कल्याणपुर, कोरियासा, रोहिणी, दौलतपुर, गुलीपथार, रुपसागर व देवीपुर आदि जगहों के लोग काम कर रहे हैं। श्रम अधीक्षक से गुहार हटाए गए कर्मियों ने श्रम अधीक्षक, देवघर से लिखित शिकायत करते हुए न्याय की गुहार लगाई है। धीरज कुमार, मनोज वर्मा, निशिकांत कुमार, राजेश कुमार, देवाशिष वर्मा, नंद किशोर व राजकुमार सहित बड़ी संख्या में कर्मियों ने श्रम अधीक्षक को दिए आवेदन में कहा है कि सभी लोग पिछले 20-25 वर्षों से सत्संग आश्रम में पेंटर, कॉरपेंटर, माली, राजमिस्त्री व वेल्डर आदि का काम कर रहे हैं। उन लोगों ने पूरी निष्ठा व इमानदारी से अपने दायित्व का निर्वहन किया है। लेकिन आश्रम प्रबंधन की ओर से बगैर किसी पूर्व सूचना के एकसाथ लगभग दो सौ मजदूरों को हटा दिया गया। यही नहीं स्थानीय मजदूरों को हटाकर बंगाल, उड़ीसा व असम आदि से प्रवासी मजदूरों को लाकर काम कराया जा रहा है। जिससे सैकड़ों मजदूर भूखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं तथा परिवार का भरण-पोषण मुश्किल हो गया है। श्रम अधीक्षक से मांग की है कि मामले की जांचकर उन्हें यथाशीघ्र काम पर रखवाया जाए। दिव्यांग है कहा जाएंगे

हटाए गए कर्मियों में एक कल्याणपुर के नीरज कुमार भी हैं। नीरज ने कहा कि वह पिछले दस साल से आश्रम में साफ-सफाई का काम कर रहे हैं। अब अचानक उन्हें हटाकर बाहरी लोगों से काम लिया जा रहा है। उन्हें महज एक हजार रुपये मिलते है, लेकिन उन्होंने कभी भी इसे बढ़ाने की मांग नहीं की। अलबत्ता कहा कि वह अंधे हैं, कहा जाएंगे। वर्ष 1992 से महज आठ रुपये में आश्रम में काम शुरू करने वाले नंद किशोर ने कहा कि इतने दिनों से आश्रम में काम किए है, अब बोला जा रहा है कि काम नहीं है, जबकि बाहरी लोगों से काम लिया जा रहा है। ऐसे में वह परिवार का भरण-पोषण कैसे करेंगे। रूक्मिणी देवी ने कहा कि आश्रम में उनके ससुर काम करते थे। उनकी मौत के बाद सास कर रही थी, अब वह काम कर रही हैं। लेकिन काम से हटा दिए जाने के कारण भरण-पोषण की समस्या खड़ी हो गई है। हटाया नही गया, संख्या हुई कम

उधर आश्रम प्रबंधन ने कर्मियों को हटाए जाने के आरोप से इन्कार किया है। प्रबंधन की ओर से पक्ष रखते हुए सत्संग आश्रम के सेवक मलय सरकार ने कहा लॉकडाउन से लेकर छह माह तक सभी कर्मियों को भुगतान किया गया है। लेकिन अभी आश्रम में सभी तरह के आयोजन व गतिविधियां ठप है। सरकार के दिशा निर्देशों का अनुपालन करते हुए थोड़ा-बहुत काम हो रहा है। ऐसे में कर्मियों को हटाया नहीं गया है, बल्कि संख्या कम की गई है। स्थिति सामान्य होने पर फिर से इन्हें काम पर वापस कर लिया जाएगा।

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