सर! गाड़ी में जल और गेरूआ रंग पहने बोलबम है..रोकिए

समय-रविवार रात दस बजे बिहार-झारखंड सीमा दर्दमारा से लाइव -कोरोना संक्रमण से बचाव के ि

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 06:16 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 06:16 PM (IST)
सर! गाड़ी में जल और गेरूआ रंग पहने बोलबम है..रोकिए
सर! गाड़ी में जल और गेरूआ रंग पहने बोलबम है..रोकिए

समय-रविवार रात दस बजे : बिहार-झारखंड सीमा दर्दमारा से लाइव

-कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सरकार के निर्देशानुसार नहीं लग रहा श्रावणी मेला, देवघर की सारी सीमाएं की गई हैं सील

- बिहार के पूर्णिया, अररिया, भागलपुर जिलों के कांवरिए बाबा धाम में घुसने की कर रहे कोशिश, सुरक्षा बलों ने रोका फोटो06 से 9 एवं 13 से 17 आरसी सिन्हा, देवघर: सर! गाड़ी में जल है और गेरूआ रंग पहने बोलबम है..रोको, रोको। बिहार-झारखंड की सीमा दर्दमारा मुख्य सड़क मार्ग पर सुरक्षा बलों का कड़ा पहरा है। रविवार रात तकरीबन दस बजे बिहार की सीमा से दो चार पहिया वाहन झारखंड की सीमा में घुस गए। वाहन पर झारखंड का नंबर था। एक चेक पोस्ट को यह वाहन लांघ चुका था। दूसरे पोस्ट पर बैरिकेडिग लगाकर पहरेदारी हो रही थी। साहब दूर में थे, कांस्टेबल ने टार्च मारा और गाड़ी को किनारे करने को बोल दिया। गाड़ी किनारे रूकी तो कांस्टेबल ने कहा कि डिक्की खोलकर दिखाइए। पायलट ने डिक्की खोला तो जांच में गंगाजल से भरा पात्र मिला। कांस्टेबल ने चिल्लाया सर, गाड़ी में जल है। इसके बाद आदेश मिला कि गाड़ी को किनारे लगवाओ।

दर्दमारा बार्डर पर ही भक्त ने चढ़ा दिया जल पहला सोमवार, बाबा का कपाट आम भक्तों के लिए बंद..। जानकारी के अभाव में भक्त आस्था की डोर पकड़कर खींच चले आ रहे हैं। राज्य की सीमा पर इतना कड़ा पहरा है कि एक भी गेरूआ वस्त्रधारी प्रवेश नहीं कर सकता। सीमा पर दो ही जांच चल रही है। एक गेरूआ वस्त्रधारी और दूसरा गंगाजल का पात्र। सोमवार सुबह : आठ बजे बिहार के पूर्णिया जिले के रूपौली से 17 लोगों का जत्था सोमवार की सुबह आठ बजे बार्डर को क्रास कर रहा था। लेकिन सुरक्षा बलों ने इनके वाहन को रोक दिया। इन लोगों ने लाख जतन किया, एक नहीं सुनी गयी। कारण सीधा सा था कि सरकार ने रोक लगा दिया है। दिगंबर कुमार, विजय एवं अरविद इस जत्था के साथ थे। पूछने पर बताया कि सुबह तीन बजे तक सुल्तानगंज में पुलिस जल भरने से रोक रही थी। सुबह कोई रोक नहीं देखे तो जल भरकर चल दिए। प्रशासन ने देवघर जाने से नहीं रोका। यहां आए हैं तो जाने नहीं दिया जा रहा है। भक्तों की जब एक नहीं चली तो वह दोनों राज्यों की सीमा पर बने प्रवेश द्वार पर ही जल चढ़ा दिया। भक्त ने कहा कि बाबा अपना नयन तो खोलो..।

नहीं मालूम था कि मंदिर बंद है बिहार के अररिया से आए सोनू कुमार, पप्पू कुमार, रूपेश कुमार, दीपक कुमार, मदन पासवान, शिवसागर समेत 17 युवा मोटर साइकिल से ही देवघर आ रहे थे। जब देवघर में प्रवेश नहीं करने दिया गया तो वापस बिहार की ओर लौटकर सड़क किनारे बैठे थे। जब इनके करीब जाकर इनसे बात की गयी तो युवाओं ने कहा कि हमलोगों को नहीं मालूम था कि मंदिर बंद है। जानते तो नहीं आते। सुने थे कि मंदिर बंद है लेकिन चौखट तक जाने दिया जाता है। यही सोचकर जल भर लिए थे। सिपाही ने विनम्रता से हाथ जोड़कर वापस कर दिया हाथ में कमंडल, माथे पर जटा का मुकुट पहने एक बाबा दो और बम के साथ सीमा में घुसे जा रहे थे। तभी एक नौजवान सिपाही ने उनको रोका। बाबा जाने की जिद कर रहे थे। तकरीबन आधा घंटा तक यह सब चलता रहा। जब वह सिपाही समझाने में हार गया तो हाथ जोड़ लिया। कहा, बाबा हम नहीं जाने देंगे। आप हमारी बात मान लीजिए। कई महिलाएं कतारबद्ध् होने लगी जाने के लिए।

एक नहीं दो तीन डाक बम भी जाने की जिद कर रहे थे। सबको बड़ी विनम्रता से वापस कर दिया गया।

सुईया से कटोरिया के बीच दिखे एक दो बम सुईया से कटोरिया के बीच कांवरिया पथ पर एक दो बम दिखे। सुईया से निकलकर सड़क मार्ग पर सफेद दाढ़ी हाथ में लाठी और पीठ पर बाबा पर अर्पण को गंगाजल लेकर एक बम देवघर की ओर बढ़ते चले आ रहे थे। करीब आने पर अपना नाम सहेंद्र कुमार मिश्रा बताया और यह जानकार आश्चर्य हुआ कि इस साल उनकी कांवर यात्रा का 52 वां साल है। सोमवार को जल चढ़ाने की तमन्ना लिए चले जा रहे थे। जब उनको बताए कि मंदिर बंद है, सीमा पर पहरा है। तो कहा कि देखें बाबा की मर्जी। इससे आगे छत्तीसगढ़ सेवा संघ के पास आराम करने के लिए भागलपुर के आदमपुर की रंजू देवी बैठी थीं। इनके साथ दो और कांवरिया थे। ये लोग प्रत्येक महीना बाबा को जल चढ़ाते हैं। खुद नहीं चढ़ा पाते तो अपने पुरोहित के माध्यम से जल अर्पित करवाते हैं।

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