कोरोना काल में अस्पताल आनेवाले मरीजों की संख्या कम

कोरोना काल में सामान्य मरीजों की संख्या में कमी देखी जा रही है। अस्पतालों में उमड़ने वाली भीड़ अब पहले की तरह नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 May 2020 06:50 PM (IST) Updated:Mon, 25 May 2020 06:50 PM (IST)
कोरोना काल में अस्पताल आनेवाले मरीजों की संख्या कम
कोरोना काल में अस्पताल आनेवाले मरीजों की संख्या कम

देवघर : कोरोना काल में सामान्य मरीजों की संख्या में कमी देखी जा रही है। अस्पतालों में उमड़ने वाली भीड़ अब पहले की तरह नहीं है। हाल के दिनों में निजी अस्पतालों में इमरजेंसी सेवा के तहत मरीजों की सेवा शुरू कर दी गई है, लेकिन पहले जैसी स्थिति अभी भी नहीं है। आंकड़ों पर गौर करें तो यह पता चल जाएगा कि कोरोना काल में अस्पतालों तक केवल वैसे ही मरीज पहुंच रहे हैं, जिन्हें स्वास्थ्य सेवा की ज्यादा जरूरत है। कोरोना काल से पहले मरीजों की संख्या और वर्तमान में मरीजों की तुलना करें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि मामूली रूप से भी किन्हीं को जरा-सी परेशानी होती थी तो वैसे लोग तुरंत अस्पताल जाते थे। अब यह माना जा रहा है कि यातायात का साधान नहीं मिल पाने की वजह से दूर दराज से लोग स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं पहुंच पाते हैं। इस वजह से भी मरीजों की संख्या में कमी आई है। वहीं संक्रमित होने के खतरे की वजह भी अस्पताल नहीं पहुंचने का एक कारण माना जा रहा है। मामूली रूप से बीमार अस्पताल में जाने पर संक्रमित होने के डर से घर पर रहकर घरेलू उपचार का ही सहारा लेकर अपने आपको ठीक करने के प्रयास में लगे रहते है। फरवरी

फरवरी में देवघर सदर अस्पताल में 4900 पुरुष, 1780 महिला, 1780 सर्जिकल (ऑपरेशन, घायल), 1530 शिशु, 1680 हड्डी, 164 नेत्र, 313 डेंटल, 534 मातृ-शिशु, 1675 आपातकालीन मरीजों को चिकित्सा सेवा प्रदान की गई थी। 530 पुरुष व 232 महिला को सदर अस्पताल में भर्ती कर उनका इलाज किया गया था। मार्च

22 मार्च के बाद से मरीजों की संख्या में कमी देखा जाने लगा। मार्च माह में 3900 पुरुष, 1279 महिला, 695 सर्जिकल (ऑपरेशन, घायल), 2116 आपातकालीन, 251 नेत्र, 192 डेंटल, 1725 शिशु, 590 मातृ-शिशु मरीजों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई। इसी माह 412 पुरुष एवं 342 महिला मरीजों को भर्ती कर उनका इलाज किया गया। अप्रैल

अप्रैल माह में 1600 पुरुष, 187 महिला, 1067 आपातकालीन सेवा , 15 नेत्र, 60 डेंटल (दंत रोग से संबंधित मरीज), 540 मातृ-शिशु, शिशु- 00 मरीजों को चिकित्सीय सेवा दी गई। जबकि मात्र 360 स्त्री-पुरुष मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर उनका इलाज किया गया। इस माह में भी सर्जिकल मरीज एक भी नहीं आए।

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