गली-गली में मिले देवालय लेकिन दिल में राम नहीं..

जागरण संवाददाता देवघर राष्ट्रीय कवि संगम के वर्चुअल कवि सम्मेलन में प्रदेश के जाने-माने

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 06:27 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 06:27 PM (IST)
गली-गली में मिले देवालय लेकिन दिल में राम नहीं..
गली-गली में मिले देवालय लेकिन दिल में राम नहीं..

जागरण संवाददाता, देवघर : राष्ट्रीय कवि संगम के वर्चुअल कवि सम्मेलन में प्रदेश के जाने-माने कवियों ने एक से बढ़कर एक काव्य पाठ किया। पलामू के कवि ने तरकश में कोई बाण नहीं हैं, मुख में ही अब मिल जाते हैं, गली-गली में मिले देवालय

लेकिन दिल में राम नहीं हैं का पाठकर खूब वाहवाही लूटी।

खासकर कवियों ने कोरोना काल के दूसरे दौर के दौरान संक्रमण से जान गंवा चुके लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की। शनिवार रात आयोजित कार्यक्रम में काव्य पाठ के माध्यम से काल का चित्रण बड़े ही मार्मिक तरीके से की गई। प्रदेश के एक सौ से अधिक कवियों ने इसमें भाग लिया। सम्मेलन राष्ट्रीय कवि संगम के प्रांतीय अध्यक्ष सुनील खवाड़े की अध्यक्षता में आयोजित हुई। संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश मित्तल मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। प्रांतीय महासचिव सरोजकांत झा ने मंच संचालन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रांतीय अध्यक्ष ने अपने संबोधन में कहा कि संगठन को और अधिक मजबूती प्रदान करने के लिए सबका सहयोग काफी अहम है। संगठन को संसाधन की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। कहा कि संगठन प्रदेश के प्रतिभाशाली कवियों को बेहतर प्लेट फॉर्म मुहैया कराएगा ताकि युवा कवि अपनी पहचान प्रदेश से लेकर राष्ट्र स्तर पर बना सके। प्रत्येक तीन माह में संगठन की बैठक करने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रांतीय प्रभारी दिनेश देवघरिया ने संबोधित किया। उन्होंने प्रांतीय अध्यक्ष के जन्मदिवस 12 अगस्त को तृतीय प्रांतीय अधिवेशन बुलाने का प्रस्ताव दिया। जिससे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। इंटरनेट मीडिया प्रभारी बीरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि कार्यक्रम को सफल बनाने में महासचिव सरोजकांत झा, संयोजक राकेश नाजुक और संगठन मंत्री का योगदान सराहनीय रहा। इस सम्मेलन में रामेश्वर चक्रवर्ती, रामजीवन गुप्ता, प्रकाश भारद्वाज, पंकज झा, माला द्वारी, श्वेता नरोने, राजीव शंकर देवघर का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। सांसे हुईं हैं पावन

महका है मन का आंगन

तेरा नाम ले रहा हूं

थामा है तेरा दामन

....राज रामगढ़ी, रामगढ़

अमीर बचत की कमाई खा रहा

गरीबों को खिला रही है सरकार

इस लॉकडौन कि चक्की में

घुट घुट कर जी रहा मध्यवर्गीय परिवार

....पीयूष राज , दुमका राधे कृष्णा राधे कृष्णा, आई विपदा भारी ।

करना क्या है समझ न आए,जाती मति ही मारी ।।

धोते धोते हांथ दुखे है,कैसी है लाचारी।

मास्क पहनते नाक सूजती,अब शरीर की बारी ।।

....रुद्र अमृत, धनबाद प्यार मिला उनका डांट सुनी उनकी,

पापा वो मेरे हैं मैं बिटिया उनकी।

पौधों से सींचा था बाहों में भींचा था,

वो विशाल वट वृक्ष मैं टहनी उनकी। ...नन्दनी प्रनय, रांची मानवता की समझ नहीं है फिर कैसा इंसान

देगा सबकी व़क्त गवाही मत घबरा नादान

..जनी मल्होत्रा नैय्यर, बोकारो

chat bot
आपका साथी