आज खुल जाएंगे मां के पट, वेदी पर विराजेंगी भगवती

संवाद सूत्र देवघर शुक्रवार को महासप्तमी है। भक्तों के दर्शन के लिए मां का दरबार खोल दिय

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Oct 2020 05:46 PM (IST) Updated:Thu, 22 Oct 2020 05:46 PM (IST)
आज खुल जाएंगे मां के पट, वेदी पर विराजेंगी भगवती
आज खुल जाएंगे मां के पट, वेदी पर विराजेंगी भगवती

संवाद सूत्र, देवघर : शुक्रवार को महासप्तमी है। भक्तों के दर्शन के लिए मां का दरबार खोल दिया जाएगा। इससे पहले शारदीय नवरात्र की षष्ठी तिथि गुरुवार को बेलभरणी पूजा के साथ भगवती को निमंत्रण दिया गया। शुक्रवार को मां की प्रतिमा स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। वेदी, दुर्गा मंदिर व पंडालों के पट दर्शन के लिए खोल दिए जाएंगे। पूजा को लेकर बाबा नगरी में भक्तिमय माहौल बना हुआ है।

षष्ठी को विभिन्न वेल वृक्षों के पास बेलभरणी पूजा तांत्रिक एवं वैदिक रीति के आधार पर की गई। माना जाता है कि भगवती का प्रथम पदार्पण बेल वृक्ष से ही हुआ है। घड़ीदार घर, बंगला पर, भीतर खंड भीतरपड़ा, कृष्णापुरी, भैया दलान, हृदयाकुंड, वर्णवाल धर्मशाला, बरमसिया पूजा समिति, विद्यापीठ, बेला बागान, देवसंघ आश्रम, पुरनदाहा, डोमासी, रामपुर, विलासी, सत्संग, बालानंद ब्रह्मचारी आश्रम आदि स्थानों में पूजा हो रही है।

भीतर खंड कार्यालय की पूजा जलसार रोड के चित्रा हाउस में की गई। स्टेट पुरोहित श्री नाथ महाराज ने तांत्रिक विधि से माता की आराधना कराया। सरदार पंडा गुलाब नंद ओझा के द्वारा माता को निमंत्रण दिया गया। आज से बंद हो जाएंगे तीन मंदिरों के पट

सप्तमी तिथि से तीन मंदिर के पट आम श्रद्धालुओं के लिए बंद हो जाएंगे। प्राचीन परंपरा के मुताबिक बाबा मंदिर स्थित पार्वती मंदिर, काली मंदिर एवं संध्या मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे। हवन के बाद दशमी के दिन आम श्रद्धालुओं के लिए खुलेगा। शक्ति पीठ में कई पौराणिक मंदिरों में शक्ति की अधिष्ठात्री मां दुर्गा के कई रूपों की पूजा वैदिक, तंत्र रहस्य, के आधार पर की जाती है। बाबा मंदिर परिसर स्थित मां पार्वती, संध्या एवं काली मंदिरों का पट सप्तमी अष्टमी एवं नवमी को बंद रहता है। सभी मंदिरों का पट महासप्तमी के दिन शुक्रवार को बंद हो जाएगा। तीर्थ पुरोहितों के अनुसार यह परंपरा खाड़ा बांधना के रूप में प्रचलित है।

नारी सम्मान के लिए पूजा-अर्चना वर्जित माना गया है। मां के इन तीनों स्वरूप भितरखंड स्थित दुर्गा के रूपों में विराजमान रहती हैं। भितरखंड में दशकों से प्रतिमा विसर्जन, हवन, कुंवारी भोजन, कुंवारी पूजा तथा बलि प्रदान की परंपरा है। इसमें अखंड दीप प्रज्वलित कर पार्वती मंदिर, काली मंदिर व संध्या मंदिर में भी अखंड दीप प्रज्वलित किया जाता है। देवाधिदेव महादेव की नगरी में 12 महीने धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं, लेकिन विशेष अवसरों पर देवघर का धार्मिक वातावरण देखते ही बनता है। महा अष्टमी के अवसर पर विभिन्न विधि व पूजा पंडालों में मां को डाली अर्पित की जाती है। दशकों से यह परंपरा चली आ रही है। सुख-शांति के लिए मां को डलिया चढ़ाया जाता है। प्राय: सभी घरों में डलिया सजाई जाती है, जिसे अष्टमी के दिन विभिन्न बेदी व पूजा पंडालों में मां को अर्पित किया जाता है। लोगों का कहना है की मां से मांगी हुई मन्नत पूरी होने के बाद डाली अर्पित किया जाता है। मगर इस कोरोना का हाल में राज्य सरकार के द्वारा दिए गए नियमों का अनुपालन सभी पूजा स्थलों पर कराने की व्यवस्था की गई है।

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