बैद्यनाथधाम खामोश, सिर्फ सुनाई देती घंटा की आवाज

फोटो026 से 29 - शाम में श्रृंगार के वक्त पट खुला परंपरागत पूजा और श्रृंगार के बाद आरती

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 06:13 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 06:13 PM (IST)
बैद्यनाथधाम खामोश, सिर्फ सुनाई देती घंटा की आवाज
बैद्यनाथधाम खामोश, सिर्फ सुनाई देती घंटा की आवाज

फोटो026 से 29

- शाम में श्रृंगार के वक्त पट खुला, परंपरागत पूजा और श्रृंगार के बाद आरती कर बंद कर दिया गया पट

-कोरोना संक्रमण के कारण इस बार नहीं श्रावणी मेला, हालांकि कई श्रद्धालु कर रहे देवघर आने की कोशिश

जागरण संवाददाता, देवघर: कोरोना की काली साया नहीं होती तो आसमान में उमड़ती काली बदरिया के बीच कांवर के घुंघरू की आवाज सुनाई देती। सावन का महीना है। सुल्तानगंज से देवघर तक रास्ता में सन्नाटा पसरा हुआ है। सावन के पहले सोमवारी को आपाधापी दिखी। दूसरे दिन वह नहीं दिखा। प्रात:कालीन पूजा के बाद पुरोहितों ने बाबा की पूजा-अर्चना की। निर्धारित समय सात बजे पट बंद हो गया। शाम में श्रृंगार के वक्त पट खुला। परंपरागत पूजा और श्रृंगार के बाद आरती और उसके बाद पट बंद कर दिया गया। यही सिलसिला पूरे महीने भर चलेगा। बाबा की दैनिक पूजा और आरती होगी। भोग लगेगा और उनको विश्राम दे दिया जाएगा। आस्था ऐसी कि मन मानता नहीं भगवान शंकर पल में मान जाने वाले। एक लोटा गंगा जल में मन की मुराद पूरी कर देते हैं। कांवरिया कांवर में गंगा जल का पात्र लेकर आ जाते हैं, ज्योतिर्लिंग पर जल अर्पित कर देते हैं और शिव मान जाते हैं। शिव के प्रति अटूट आस्था ही है कि वह पंचशूल देखकर अपनी मन की बात कह देते हैं। सावन शुरू होने से पहले भी मंदिर का कपाट बंद हो गया था। तब भक्तों को मंदिर के मुख्य द्वार यानि बाबा बैद्यनाथ के चौखट तक जाने दिया जाता था। सावन शुरू होने के पहले ही सरकार ने भक्तों के प्रवेश पर रोक लगा दिया। सीमाओं को सील कर दिया गया और शिव भक्तों को रोकने के लिए आठ सौ अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात कर दिया गया। भक्त भला क्या करे, वह तो शिव के भक्त हैं। पल में नाराज और पल में रीझ जाते हैं। जब सीमा पर रोका जाने लगा तो वह जल लेकर लौटे नहीं, अपनी श्रद्धा को वहीं समर्पित कर दिया। भगवान शंकर का ध्यान किया और वही जल ढाल दिया। यह विश्वास और आस्था है। उनके मन में यह बात है कि वह धाम आ गए जहां शिव विराजते हैं। शिवगंगा तट पर भी सन्नाटा शिवगंगा तट पर आप पहुंच नहीं सकते। पहुंच भी गए तो डुबकी नहीं लगा सकते। कारण चारों ओर बैरिकेडिग कर दी गयी है। इतना ही नहीं, चारों ओर पुलिस का पहरा है। सुरक्षा बल के साथ पुलिस पदाधिकारी की भी तैनाती सरकार ने की है। तनिक भी जाने का रास्ता नहीं है। सावन के पहले तक तो चहल पहल भी दिख जाती थी, अब तो कुछ भी नहीं। शिवगंगा से सिंह दरवाजा तक जाने की गलियां भी सुनसान है। यात्री ही नहीं है तो दुकानदार किसी बाट देखेंगे। वीआइपी गेट के सामने की एक दो दुकानें खुली दिख जाती है। कारण इन दुकानों से पुरोहितों को पूजा के लिए लड्डू या अन्य सामग्री लेनी होती है। इसके अलावा दुकान खुलती है लेकिन कुछ समय के लिए क्योंकि इधर कोई खरीददार ही नहीं आते हैं।

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