आम देख खुशी से खिल गए चेहरे

जागरण संवाददाता करौं (देवघर) चोरबरिया गांव स्थित बागान में आम देख कर किसानों के चेहर

By JagranEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 11:01 PM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 11:01 PM (IST)
आम देख खुशी से खिल गए चेहरे
आम देख खुशी से खिल गए चेहरे

जागरण संवाददाता, करौं (देवघर): चोरबरिया गांव स्थित बागान में आम देख कर किसानों के चेहरे खुशी से खिल उठे हैं। छोटे बड़े आम लदे पौधो को देख किसान यह उम्मीद जता रहे हैं कि इस बार पैदावार बेहतर होगी। सभी पेड़ों में आम लदा हुआ है। प्रखंड मुख्यालय के बगल में चोरवरिया गांव है। यहां की लगभग 10 एकड़ जमीन कभी उजाड़ थी। बलुई जमीन होने के कारण इसमें कोई फसल नहीं होती थी। बागवानी मिशन से प्रेरित होकर किसान वीरेन्द्र सिंह व शंकर सिंह ने फलदार पेड़ों को लगाना शुरू किया। उनकी ढंग से देखभाल की। उनके प्रयास से आज 10 एकड़ बंजर जमीन में 2800 आम के पेड़ लहलहा रहे हैं। वहीं यहां आम भी फलने लगा है। जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी हुई है। वर्तमान में यहां लगे पेड़ पर्यावरण सरंक्षण के अलावा आर्थिक लाभ में योगदान दे रहा है।

वन विभाग का मिला सहयोग : वीरेन्द्र सिंह ने बताया कि सात साल पूर्व तक यह जमीन बिल्कुल बंजर थी। लेकिन विभाग के वनरक्षी ओमप्रकाश साह ने यहां आम का पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया। पेड़ से लेकर अन्य सुविधाएं विभाग की ओर से दी गई। वीरेन्द्र सिंह के पास मात्र 8 एकड़ जमीन थी। उन्होंने करौं के गुरूदास बनर्जी व चांदचौरा के धर्मदास सिंह से उनकी जमीन पर पेड़ लगाने की चर्चा की। दोनों इसके लिए तैयार हो गए। यहां तीन हजार पेड़ लगाए गए। जबकि पेड़ की रक्षा के लिए चारों ओर गड्ढा भी खुदवाया गया।

सिचाई की सुविधा नहीं होने से परेशानी : किसानों ने बताया कि पेड़ लगाने के बाद सिचाई के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। पूर्व में मनरेगा से बना सिचाई कूप सहारा बना। लेकिन सिचाई के लिए एक कुआं पर्याप्त नहीं है। पहले पंप लगाकर एक गड्ढे में पानी जमा करना होता है। इसके बाद बाल्टी के सहारे एक-एक पेड़ का पटवन करना पड़ा।

आम से 20 हजार रुपये की हुई आय

: शंकर सिंह, किसान, चोरबरिया ने कहा कि पिछले वर्ष आंधी पानी से आम की फसल को भारी नुकसान तो हुआ। लेकिन इसके बावजूद उन्हें 20 हजार रुपये की आय हुई थी। इस वर्ष बगीचे में लगे आम को देख आय बढ़ने की उम्मीद है। किसानों ने कहा कि पेड़ों की रखवाली करने में काफी परेशानी होती है। अगर इस जगह की घेरा बंदी हो जाती तो पेड़ों की रखवाली में उन्हें काफी सहूलियत मिलती।

सिचाई की सुविधा नहीं होने से परेशानी : वीरेन्द्र सिंह, स्थानीय किसान ने कहा कि कुआं व पंप नहीं रहने से पेड़ों की सिचाई में काफी परेशानी होती है। बगीचा में ही जीर्ण शीर्ण कुआं है। जिसमें पर्याप्त पानी नहीं है। जिस कारण पेड़ों का पटवन समय पर नहीं हो पाता है। अगर सिचाई की सुविधा मिल जाती तो आम का उत्पादन अच्छा होता। वहीं पेड़ों के बीच खाली जगहों पर अन्य फसलों की खेती की जाती।

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