मिठाई के साथ बीमारी खरीद रहे ग्राहक

बैद्यनाथ की नगरी देवघर में मिठाई के शौकीनों की भरमार है। देवघर म

By JagranEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 07:00 AM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 07:00 AM (IST)
मिठाई के साथ बीमारी खरीद रहे ग्राहक
मिठाई के साथ बीमारी खरीद रहे ग्राहक

अजय परिहस्त, देवघर

बैद्यनाथ की नगरी देवघर में मिठाई के शौकीनों की भरमार है। देवघर में

पेड़ा से लेकर रसगुल्ला तक का जबरदस्त क्रेज है। एक अनुमान के मुताबिक देवघर में कोविड-19 संक्रमण के दौर से पहले सामान्य दिनों में मिठाई की दुकानों पर जबर्दस्त भीड़ उमड़ती थी। फिलहाल कोविड-19 की वजह से लॉकडाउन के कारण यहां मिठाई बाजार डाउन है। हालांकि मिलावटखोरों का मार्केट अभी भी हाई है। मिठाइयों में मिलावट, रासायनिक तत्वों का इस्तेमाल, जहरीले रंगों का मिश्रण न सिर्फ मिठाई के शौकीनों का जायका बिगाड़ रहा है बल्कि इसकी वजह से सेहत पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

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प्रतिदिन लाखों में होता मिठाई का कारोबार

देवघर शहर में मिठाई की दुकानों की भरमार है। कई दुकान महंगे और रिहायशी हैं। शहर में सस्ती दर पर मिठाई की दुकानों की भी कोई कमी नहीं है। देवघर के टावर चौक के निकट कई ऐसी मिठाई की दुकान है जिसमें तरह-तरह की मिठाइयां उपलब्ध हैं। इन दुकानों में 10 रुपये से लेकर 50 रुपये तक प्रति पीस की मिठाई मिलती है। देवघर में पांच रुपए से लेकर 20 रुपए प्रति पीस मिठाई बेचनेवाले दुकानों की तो भरमार है। एक अनुमान के मुताबिक देवघर शहर में प्रतिदिन तीन से पांच लाख रुपये की मिठाइयों की खपत है। अगर इसमें पेड़ा व्यवसाय को भी जोड़ दिया जाए तो यह राशि आठ से 10 लाख रुपए तक पहुंच जाएगी। देवघर में तकरीबन 300 पेड़ा की दुकान है। हालांकि पेड़ा का धंधा अभी देवघर में ठप है, जबकि मिठाई की खपत भी आधी से ज्यादा नहीं है।

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सिथेटिक दूध, खोआ व मावा का होता है इस्तेमाल

मिठाई के धंधे में मिलावट का तड़का लगानेवाले मिठाई बनाने के लिए सिथेटिक दूध, खोआ, मावा में उबला आलू, आरारोट, स्टार्च, आटा, सूजी, यूरिया, डालडा वनस्पति, अखाद्य नकली रंग, नकली चांदी का वर्क, सेक्रीन का धड़ल्ले से उपयोग करते हैं। इसके अलावा भी कई तरह के रासायनिक पदार्थों का मिश्रण मिठाई को तैयार करने के दौरान किया जाता है जो सेहत के लिए अत्यंत नुकसानदायी होता है।

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क्या कहते ग्राहक

मिठाई खाने के शौकीन हैं। इसलिए सिर्फ पर्व-त्योहार ही नहीं, बल्कि

रोजाना मिठाई खाने की आदत है। देवघर में एक से बढ़कर एक मिठाई मिलती है लेकिन गुणवत्ता को लेकर सावधानी जरूरी है। इससे न तो दुकानदार को समझौता करना चाहिए और नहीं ग्राहक को मिलावटी खाना चाहिए।

दीपक झा, शहीद आश्रम चौक, देवघर

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बंगाल के बाद देवघर की मिठाई प्रसिद्ध है। इसलिए बाहर से आनेवाले श्रद्धालु भी मिठाई का लुत्फ उठाते हैं। हमलोग भी मिठाई खाने के लिए बहाना ढूंढ़ते हैं और बाजार से लाकर रोज मिठाई खाते हैं। मिलावट और क्वालिटी के बारे में जानने का प्रयास नहीं करते हैं। दुकान की चकाचौंध देखकर सामान खरीदते हैं।

जयदेव घोष, आरोग्य बंगला देवघर

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क्या कहते मिठाई दुकानदार

हमारे पूर्वज मिठाई बनाने का काम करते थे। हम भी उसी कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं। देवघर का लोकप्रिय मिठाई चमचम, रसकदम, रसभरी, खीर कदम, संदेश, गुलाब जामुन, चंद्रकला, कलाकंद, जलेबी, रसगुल्ला ,पांतुआ, मुर्की छेना, काजू बर्फी, संगम मिठाई, रबड़ी, मालपुआ का डिमांड है। प्रयास होता है कि क्वालिटी से कोई समझौता नहीं हो।

गणेश साह, मिठाई दुकानदार

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पिछले सात महीने से दुकान बंद था। जैसे-तैसे गुजारा हो रहा था। छोटे दुकानदार हैं और सरकार के सभी मानक को खयाल रखते हैं। अपने हाथों से सामान तैयार कर ग्राहक को संतुष्ट करते हैं। लगन के समय में थोड़ी बहुत मिठाई का शॉर्टेज होता है मगर अन्य दिनों में पर्याप्त मात्रा में दूध, खोआ उपलब्ध रहता है। शुद्धता का ख्याल रखते हैं ।

दीपक गुप्ता, मिठाई दुकानदार

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मिलावट रोकने का नहीं होता गंभीर प्रयास

देवघर में मिलावट के धंधेबाजों पर नकेल कसने के लिए जो प्रयास होना चाहिए वह नहीं दिखता है। फूड एंड सेफ्टी विभाग की सक्रियता भी नगण्य दिखती है। इसका नतीजा है कि देवघर में मिलावट का धंधा खूब हो रहा है। इसकी बानगी पिछले दिनों देवघर के एसडीओ दिनेश कुमार यादव के नेतृत्व में हुई छापेमारी के दौरान देखने को मिली थी जब जांच यह बात सामने आई कि मिठाई बनाने में कपड़ों में मिलाने वाला रंग का इस्तेमाल किया जा रहा है। साफ-सफाई के मानकों का भी ध्यान नहीं रखा जाता है। जांच के दौरान एसडीओ के स्तर से पांच दुकानदारों पर जुर्माना भी किया गया था।

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क्या कहते चिकित्सक

मिलावटी मिठाइयां खाने से कैंसर, माउथ कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, ल्यूकेमिया

जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। इसके अलावा एलर्जी, श्वांस की बीमारी, लिम्फेटिक ट्यूमर, डर्मेटाइटिस, अल्सर, किडनी इंफेक्शन, स्नायु तंत्र से जुड़ी बीमारियां, पेट संबंधी रोग हो सकती हैं।

डॉ. प्रभात रंजन, चिकित्सक, सदर अस्पताल देवघर

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हाल ही में एसडीओ द्वारा जांच में पाया गया है कि लोग कपड़े में मिलाने वाले रंग को मिठाई बनाने में इस्तेमाल करते हैं एवं गंदे कपड़े और कारखाना भी गंदा होता है जिससे मिठाई खरीदने से अब डर लगता है।

जयदीप घोष, आरोग्य बंगला

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