सत्संग आश्रम को जल संरक्षण में नेशनल वाटर अवार्ड 2019

जल संरक्षण के लिए बेस्ट रिलीजियस आर्गेनाइजेशन ने सत्संग आश्रम को 2019 का नेशनल वाटर अवार्ड देने की घोषणा की है। आश्रम में जल संरक्षण का कार्य देख रहे पदाधिकारी ब्रोजो सुंदर साहू ने जागरण को बताय

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 08:59 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 08:59 PM (IST)
सत्संग आश्रम को जल संरक्षण में नेशनल वाटर अवार्ड 2019
सत्संग आश्रम को जल संरक्षण में नेशनल वाटर अवार्ड 2019

जागरण संवाददाता, देवघर: जल संरक्षण के लिए बेस्ट रिलीजियस आर्गेनाइजेशन ने सत्संग आश्रम को 2019 का नेशनल वाटर अवार्ड देने की घोषणा की है। आश्रम में जल संरक्षण का कार्य देख रहे पदाधिकारी ब्रोजो सुंदर साहू ने जागरण को बताया कि जल शक्ति मंत्रालय के अधीन कार्यरत कंपनी वैपकोस लिमिटेड से बुधवार को मोबाइल पर फोन पर जानकारी मिली की सत्संग आश्रम का चयन 2019 के नेशनल वाटर अवार्ड के लिए किया गया है।

दो नवंबर से पहले वहां की संक्षिप्त जानकारी भेज दें। ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके। बताया कि इसके लिए सितंबर में एक फार्म भरा गया था। इसके बाद दिल्ली से एक टीम आई थी। जिसने यहां ट्रीटमेंट और जल संरक्षण के कार्य को देखा था। पूरा वीडियो करके टीम ले गई थी। सुंदर साहू ने बताया कि आश्रम में बारिश का जल संरक्षित किया जाता है। सबसे पहले 2010 से 2012 तक आश्रम के सभी भवन पर बारिश के जल का संचयन किया जाने लगा। यहां एक तो जल संरक्षण होता है। दूसरा आनंद बाजार, छात्रावास के पानी को बर्बाद होने से बचाया जाता है। जल का ट्रीटमेंट कर उससे बर्तन धोने, हाथ धोने व गार्डेन के काम में उपयोग किया जाता है।

बताया कि 2014 से अब तक बारिश के जल व ट्रीटमेंट वाटर से प्रत्येक वर्ष आश्रम में आने वाले आठ लाख अनुयायियों की जरूरतों की पूर्ति इसी जल से की जाती रही है। बताया कि जल संकट को देखते हुए प्रधान आचार्य ने 2010 में कहा था कि जब यहां आने वाले व्यक्तियों को पानी नहीं मिलेगा तो पौधे कैसे जीवित रहेंगे। इसलिए जरूरी है कि उसकी व्यवस्था बारिश के जल से करें। उसके बाद जल संरक्षण का कार्य किया जाने लगा।

बताया कि यहां 20 फीट के 200 कुंए है। जिसमें वर्षा का जल रखा जाता है। इससे बागवानी का काम व यहां रहने वाले लोगों के जरूरत का काम हो जाता है। इसके बाद आनंद बाजार जिसमें प्रतिदिन हजारों लोगों के लिए महाप्रसाद बनता है, इसकी साफ-सफाई, बर्तन धोने के लिए यहां से निकलने वाले वेस्ट वाटर का ट्रीटमेंट कर उसे फिर से उसके उपयोग में लाया जाता है।

तकनीकी पदाधिकारी ने बताया कि ट्रीटमेंट की प्रक्रिया भी नैसर्गिक है। बड़े-बड़े टैंक बने हुए है। जिसमें प्रयोग किये हुये पानी का भंडारण किया जाता है। सबसे पहले वाले टैंक से तैलीय पदार्थ को हटाया जाता है। उसके बाद तेल रहित पानी को दूसरे टैंक में गिराया जाता है। ट्रीटमेंट की प्रक्रिया में एक टैंक में कैनन का पौधा होता है। यह पौधा वाटर को ट्रीटमेंट करता है। इस पौधे की जड़ में कीड़े को मारने की क्षमता है। इसके बाद अब खुले टैंक में पानी को रखा जाता है। जो धूप की किरण से स्वच्छ हो जाता है। इस पानी का उपयोग बागवानी में भी किया जाता है।

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