लगातार बारिश से नहीं डाला जा सका धान का बिचड़ा
संवाद सहयोगी करौं (देवघर) प्रखंड के 80 फीसद लोगों की जीविका कृषि पर निर्भर है। समय
संवाद सहयोगी, करौं (देवघर): प्रखंड के 80 फीसद लोगों की जीविका कृषि पर निर्भर है। समय से पहले मानसून आने पर लगातार बारिश से किसान चिंतित हैं। खेतों में दो से तीन फीट तक पानी से भरने के कारण जोताई भी अभी नहीं हुई है। किसानों ने बताया कि जिन खेतों में बिचड़ा डालते हैं, उसे एक माह पूर्व जोताई कर घास निकालकर साफ करते हैं। उसमें जैविक खाद आदि डाल कर 15 जून से धान का बिचड़ा डालते हैं। इस वर्ष मई में ताउते व यास चक्रवात के आने के बाद से लगातार बारिश होने के कारण किसान बिचड़ा डालने के लिए खेत तैयार नहीं कर पाये हैं। वहीं जून में समय से पहले ही मानसून आने के कारण लगातार झमाझम बारिश होने से सभी खेतों में पानी लग गया है। किसान आनंद मंडल ने कहा कि किसान खेती की शुरुआत परशुराम जयंती यानी अक्षय तृतीया को खेतों में विधिवत पूजा पाठ करने के बाद जोताई और घास की सफाई करते हैं। लेकिन इस वर्ष 14 मई को अक्षय तृतीया था। 17 मई से ताउते एवं 26 मई से यास चक्रवात आ जाने से जमकर बारिश होने के कारण खेतों की जोताई नहीं हुई। वहीं 12 जून से मानसून शुरू हो गया।
झमाझम बारिश होने के कारण खेतों में दो फीट पानी लग गया है। इससे धान का बिचड़ा गिराने की समस्या उत्पन्न हो गई है। इस वर्ष खेती में देरी होने की आशंका दिख रही है।
आनंद मंडल, किसान
खेतों में बिचड़ा में डालने का समय जा रहा है। इस वर्ष खेती कैसे होगी इस बात की चिता की बात है। खेती के लिए सरकार को आर्थिक मदद करनी चाहिए।
शूकर महतो, किसान
समय पर बिचड़ा नहीं डालने से नुकसान होगा। परंपरागत तरीके से खेती करते हैं। खेतों में बिचड़ा तैयार होने के बाद इसे रोपा जाता है। लेकिन बिचड़ा तैयार कर अच्छे तरीके से खेती करनी होगी।
सुरेश सिंह, किसान
रोहिणी नक्षत्र में खेतों में बीज डाला जाना अच्छा माना जाता है। बारिश के कारण समय गुजर गया है। अभी मृगशिरा नक्षत्र चल रहा है। बिचड़ा डालने के लिए अभी खेतों की जोताई भी नहीं हो सका है।
युगल मंडल, किसान।