खुद बचे और दूसरे को भी बचाएं : नजर-ए-तौहीद

बाटम वैश्विक महामारी से निजात के लिए मिलजल कर करें दुआ करें रमजान है बरकत का महीना

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 08:48 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 08:48 PM (IST)
खुद बचे और दूसरे को भी बचाएं : नजर-ए-तौहीद
खुद बचे और दूसरे को भी बचाएं : नजर-ए-तौहीद

बाटम

वैश्विक महामारी से निजात के लिए मिलजल कर करें दुआ करें

रमजान है बरकत का महीना, फोटो-4

जागरण संवाददाता, चतरा : कोरोना वायरस से खुद बचे और दूसरों को भी ेबचाने की कोशिश करें। कोरोना से पूरा दुनिया त्राहि-त्राहि कर रहा है। कोरोना यह दूसरा लहर काफी घातक है। अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं। हालात बहुत खराब है। अल्लाह से दुआ करें, इससे जल्द से जल्द निजात मिल जाए। उक्त बातें शहर-ए-काजी मुफ्ती नजर-ए-तौहीद ने रमजान के पहले जुमे के मौके पर कही। शहर के जाम-ए-मस्जिद में जुमा की नमाज से पहले अपने तकरीर में उन्होंने कहा कि पिछले एक साल से अधिक वक्त से पूरा दुनिया को इस वायरस ने तंग और तबाह कर दिया है। हमारा मुल्क भी इसके जद में है। करोड़ों लोग इसके संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं और लाखों की जाने जा चुकी है। ऐसे में सतर्क रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि रमजान का महीना बरत का है। इसकी अहमियत को समझें। ऐसे मौकों पर कसरत से इबादत करें। इबादत के लिए जरूरी नहीं है कि मस्जिद अएं। आप अपने घर पर ही रहकर इबादत करेंगे। कोरोना संक्रमण से निजात पाने के लिए अल्लाह से दुआ करें। उन्होंने कहा कि भूखे पेट रहना रोजा नहीं है, बल्कि इंसानी खाहिसात पर काबू रखते हुए खुद को इबादत में मशगूल रखा चाहिए। रोजेदारों की दुआ बेजा नहीं जाती है। उन्होंने अपने तकरीर में कहा कि रमजान का महीना तीन हिस्सों में बंटा होता है। पहला दस दिन रहमत का होता है। दूसरा दस दिन बरकत का और तीसरा दस दिन गुनाहों से छुटकारे का होता है। इसलिए रोजे की अहमियत को समझें। अल्लाह पाक बंदों को एक मौका दिया है। इस मौका का पूरा फायदा उठाएं।

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