योजना का स्थल जांच किया नहीं, मनरेगा कर्मियों को कर दिया बर्खास्त

जागरण संवाददाता चतरा ग्रामीण विकास विभाग की रिपोर्ट पर उपायुक्त जितेंद्र कुमार सिंह द्वारा जागरण संवाददाता चतरा ग्रामीण विकास विभाग की रिपोर्ट पर उपायुक्त जितेंद्र कुमार सिंह द्वारा जागरण संवाददाता चतरा ग्रामीण विकास विभाग की रिपोर्ट पर उपायुक्त जितेंद्र कुमार सिंह द्वारा जागरण संवाददाता चतरा ग्रामीण विकास विभाग की रिपोर्ट पर उपायुक्त जितेंद्र कुमार सिंह द्वारा।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 07:02 PM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 07:02 PM (IST)
योजना का स्थल जांच किया नहीं, मनरेगा कर्मियों को कर दिया बर्खास्त
योजना का स्थल जांच किया नहीं, मनरेगा कर्मियों को कर दिया बर्खास्त

जागरण संवाददाता, चतरा : ग्रामीण विकास विभाग की रिपोर्ट पर उपायुक्त जितेंद्र कुमार सिंह द्वारा 14 अनुबंधित कर्मियों को चयनमुक्त किए जाने का मामला नया मोड़ ले लिया है। जिससे उनकी कार्रवाई पर सवाल उठाया जा रहा है। राज्यस्तरीय टीम ने एक ऐसी सड़क योजना को लापता बताया है, जिसकी उन्होंने जांच ही नहीं की है। जांच रिपोर्ट में उसे भले ही लापता बताया है। जबकि सच्चाई यह है कि योजना स्थल पर यथावत स्थिति में है। मामला प्रतापपुर प्रखंड के प्रतापपुर पंचायत का है। वित्तीय वर्ष 2012-13 में करबला से बघमंदा होते हुए मंजराही तक करीब 48 हजार के प्राक्कलन से मिट्टी मोरम पथ का निर्माण हुआ है। जिसका योजना कोड संख्या 3417002017/आरसी/9931595843 है। सड़क को लापता बताते हुए ग्रामीण विकास विभाग का पत्रांक 1397 दिनांक 6 मई 2020 के आदेश के तहत संबंधित पंचायत के मनरेगा अनुबंधकर्मियों को डीसी ने चयनमुक्त कर दिया। चयनमुक्ति के बाद यह सवाल उठ रहा है कि जब जांच अधिकारी सड़क का स्थल निरीक्षण किया ही नहीं, तो योजना को लापता कैसे बता दिया। मनरेगा के अनुबंधित कनीय अभियंता चंद्रशेखर महेता एवं रोजगार सेवक अजहर ने योजना की जांच करने की मांग की है। जिला परिषद सदस्य विक्रम कुमार ने बताया कि राज्यस्तरीय जांच टीम के साथ वह स्वयं मौजूद थे। कुल 15 सड़क की जांच करनी थी। जांच टीम ने 14 सड़कों का स्थल निरीक्षण कर योजना को सही पाया। करबला से बघमंदा होते हुए मंजराही तक सड़क की जांच ही नहीं हुई और उसे लापता बता दिया गया। उक्त सड़क बना हुआ है। सड़क स्थल कायम है। मुखिया रीना देवी ने कहा है कि योजना वित्तीय वर्ष 2012-13 की है। सात वर्ष बीत जाने के बाद योजना की जांच हुई। चुकी योजना मिट्टी मोरम सड़क से संबंधित है। इतने वर्षो तक भौतिक स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। मुखिया ने पुन: योजना की जांच की मांग करते हुए ग्रामीण विकास विभाग से दोष मुक्त करने की मांग की है।

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