इबादत का महीना रमजान शुरू
जागरण संवाददाता चतरा चांद का दीदार होते ही मुस्लिम धर्मावलंबियों का एक महीना तक चलने वाल
जागरण संवाददाता, चतरा : चांद का दीदार होते ही मुस्लिम धर्मावलंबियों का एक महीना तक चलने वाला पवित्र रोजा का आगाज हो गया। चेतना और जागरूकता के महापर्व को लेकर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में उल्लास और उमंग का वातावरण है। मस्जिदों में नमाजियों की भीड़ उमड़ने लगी है। हालांकि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए इस साल भी ज्यादातर लोग मस्जिदों के बजाए अपने-अपने घरों में नमाज व तराबीह करेंगे। चांद दिखते ही तराबीह शुरू हो गई है। शहर के सभी मस्जिदों के अलावा कुछ अन्य स्थानों पर तराबीह की नमाज हो रही है। कुल मिलाकर शहर में सौ से अधिक स्थानों पर तराबीह पढ़ी जा रही है। इनमें से कुछ स्थानों पर सात दिनों में, तो कुछ स्थानों पर 27 दिनों में तराबीह पढ़ी जाएगी। शहर-ए-काजी सह अरबी कालेज के प्राचार्य मुफ्ती नजरे तौहीद ने कहा कि रोजा की अहमियत बहुत बड़ी है। रोजा सीधे तौर पर अल्लाहताआला के साथ बंदों के रिश्तों को न सिर्फ जोड़ता है, बल्कि और मजबूत भी करता है। हर बालिग मुस्लिम पुरुष और महिला को इसका पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि साल के सभी महीनों में सबसे पवित्र रमजान का महीना है। उन्होंने कहा कि रमजान के महीना में अल्ला ताआला रहमतों और बरकतों की बरसात करते हैं। शहर-ए-काजी ने आगे कहा कि यह पूरा महीना इबादत का है। उन्होंने कहा कि वैसे भी दुनिया के प्राय: सभी धर्मों में उपवास की अनिवार्यता है। बस फर्क यह है कि इसकी अदायगी का तरीका अलग-अलग है। मुस्लिम धर्मावलंबी जहां इसे रोजा कहते हैं, वहीं सनातन धर्म में उसे उपवास और व्रत कहते हैं। उन्होंने कहा कि रमजान का पूरा महीना तीन हिस्सों में बंटा हुआ है। प्रथम दस दिन रहमत है। ग्यारह से बीसवें तीन अर्थात दूसरा दस दिन बरकत का होता है और अंतिम दस दिन अर्थात इक्कीस के बाद मगफिरत का होता है। शहर-ए-काजी ने आगे कहा कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए मस्जिदों के बजाय घरों में इबादत करें। कहा है कि सामूहिक आयोजन बिल्कुल न करें।