उग्रवादियों ने मांझीपाड़ा गांव पर बोला हमला, लोगों को घरों से निकाल पीटा Chatra News

मंगलवार की रात टीएसपीसी उग्रवादियों का एक दस्ते ने मांझीपाड़ा गांव पर हमला कर जमकर उत्पात मचाया। रात करीब दस बजे उग्रवादियों का दस्ता गांव पहुंचा और हवाई फायरिंग शुरू कर दी

By Alok ShahiEdited By: Publish:Wed, 08 Apr 2020 01:22 PM (IST) Updated:Wed, 08 Apr 2020 01:22 PM (IST)
उग्रवादियों ने मांझीपाड़ा गांव पर बोला हमला, लोगों को घरों से निकाल पीटा Chatra News
उग्रवादियों ने मांझीपाड़ा गांव पर बोला हमला, लोगों को घरों से निकाल पीटा Chatra News

चतरा, जासं। मंगलवार की रात टीएसपीसी उग्रवादियों का एक दस्ते ने मांझीपाड़ा गांव पर हमला कर जमकर उत्पात मचाया। रात करीब दस बजे उग्रवादियों का दस्ता गांव पहुंचा और हवाई फायरिंग शुरू कर दी। उसके बाद गांव के पांच लोगों को उनके घरों से बाहर निकाला और उनके साथ मारपीट शुरू कर दी। सूत्रों का कहना है कि मारपीट एवं हवाई फायरिंग का कारण भूमि विवाद है। जिस भू-खंड को लेकर गांव के खैरवारों ने तीन दशक तक भाकपा माओवादी उग्रवादियों के साथ दो-दो हाथ किया था। उसी जमीन को लेकर टीएसपीसी ने मोर्चा खोल दिया है।

हवाई फायरिंग कर जंगली रास्ते से भागे उग्रवादी

सूत्र के अनुसार उग्रवादियों की संख्या बीस से पचीस के बीच थी। हवाई फायरिंग व मारपीट के बाद वे जंगली रास्ते से निकल गए। इधर घटना की जानकारी मिलने के बाद सिमरिया के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी बचनदेव कच्छप दल बल के साथ मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। इसके बाद उग्रवादियों की धर पकड़ को लेकर छापेमारी शुरू कर दी गई है। थाना प्रभारी रामबृक्ष राम ने बताया कि टीएसपीसी उग्रवादियों की पिटाई से पांच लोग जख्मी हुए हैं। स्थानीय स्तर पर उनका उपचार कराया जा रहा है।

तीस वर्षों से है उग्रवादियों का खैरवारों से संघर्ष

बताते चले कि वर्ष 1990 के दशक में भाकपा माओवादी उग्रवादियों व माझीपाड़ा गांव के खैरवारों के बीच एक भू-खंड को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ था। दोनों ओर से कई बार हिंसक झड़क हुई थी। जिसमें चार-पांच खैरवार के साथ-साथ कई उग्रवादी भी मारे गए थे। बाद में स्थिति को देखते हुए वर्ष 1995 में तत्कालीन उपायुक्त रामवृक्ष महतो और पुलिस अधीक्षक विनय कुमार ने खैरवारों को मांझीपाड़ा गांव से विस्थापित करते हुए सदर थाना क्षेत्र के धमनिया गांव में शरणार्थी के रूप में स्थापित कर दिया था। लेकिन जैसे ही हालात सामान्य हुए, वैसे ही सभी 17 खैरवार परिवार वापस गांव लौट गए।

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