इटखोरी में सबसे पहले टाल पर शुरू हुई थी दुर्गा पूजा

संवाद सहयोगी इटखोरी (चतरा) प्रखंड में नवरात्र के मौके पर दुर्गा पूजा का इतिहास दो सौ वर्ष पुराना है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 11 Oct 2021 06:50 PM (IST) Updated:Mon, 11 Oct 2021 06:50 PM (IST)
इटखोरी में सबसे पहले टाल पर शुरू हुई थी दुर्गा पूजा
इटखोरी में सबसे पहले टाल पर शुरू हुई थी दुर्गा पूजा

संवाद सहयोगी, इटखोरी (चतरा): प्रखंड में नवरात्र के मौके पर दुर्गा पूजा का इतिहास दो सौ वर्ष पुराना है। उसके पहले क्षेत्र के लोग दुर्गा पूजा में शामिल होने के लिए पदमा किला में जाया करते थे। रामगढ़ राजपरिवार के द्वारा पदमा किला में दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता था। पूजा के मौके पर किला में ही दशहरा का मेला भी लगता था। इसी बीच स्थानीय लोगों ने अपने क्षेत्र में ही दुर्गा पूजा तथा दशहरा का मेला के आयोजन करने का निर्णय लिया। जगह तय हुई इटखोरी गांव के टाल तालाब के किनारे। चयनित स्थल पर लोगों के सहयोग से टाल पर मिट्टी के दुर्गा मंडप का निर्माण किया गया। जिसमें शारदीय नवरात्र के अवसर पर हर वर्ष मिट्टी से बनी मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर दुर्गा पूजा का आयोजन पूरे भक्ति भाव के साथ शुरू हो गया। टाल पर की दुर्गा पूजा का आयोजन शुरू होने के करीब एक सौ वर्ष के बाद पितीज गांव में भी दुर्गा पूजा का आयोजन प्रतिमा स्थापित करके होने लगा। इसके बाद ग्राम गुल्ली, करनी, परसौनी में भी दुर्गा पूजा का आयोजन शुरू हो गया। फिर परोका बगीचा तथा इटखोरी बाजार में भी दुर्गा पूजा का आयोजन होने लगा। वर्तमान समय में प्रखंड में उपरोक्त सात स्थानों पर मिट्टी की मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर नवरात्र में पूरे विधान पूर्वक दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है। उपरोक्त सभी स्थानों पर दशहरा का मेला भी लगता है। लेकिन टाल पर की दुर्गा पूजा से प्रखंड के लोगों की आस्था आज भी जुड़ी हुई है। प्रखंड के अधिकांश गांव के लोग नवरात्र में टाल पर की मां दुर्गा का दर्शन करने आवश्यक रूप से आते हैं।

chat bot
आपका साथी