अपेक्षाएं कुछ हुई पूरी, कुछ रह गई अधूरी

जुलकर नैन चतरा शहर से बिलकुल सटी देवरिया पंचायत ..जिला मुख्यालय की सर्वाधिक निकटतम..

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 11:03 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 11:03 PM (IST)
अपेक्षाएं कुछ हुई पूरी, कुछ रह गई अधूरी
अपेक्षाएं कुछ हुई पूरी, कुछ रह गई अधूरी

जुलकर नैन, चतरा : शहर से बिलकुल सटी देवरिया पंचायत ..जिला मुख्यालय की सर्वाधिक निकटतम..गांव होकर भी शहरी सुविधाओं का सपना संजोये पिछले पांच साल से अपने कायाकल्प का इंतजार कर रही है। हालांकि इस दौरान इसकी कुछ अपेक्षाएं पूरी हुईं तो कुछ अधूरी रह गई हैं। 11 गांवों की इस पंचायत के लगभग सभी घरों में बिजली और शुद्ध पानी उपलब्ध है। गांव कुछ तो विकसित हैं कुछ विकास का इंतजार कर रहे हैं। आप उन्हें उपेक्षित भी कह सकते हैं। गांव में कागज पर स्वच्छ भारत मिशन की छाप है..हर घर में शौचालय..बाजाप्ता बोर्ड लगाकर खुले में शौच से मुक्त होने का दावा..मगर हकीकत उससे कोसों दूर.. 80 फीसद शौचालयों का वजूद मिट चुका है। गांवों की सड़कें जर्जर हैं। मनरेगा से निर्मित इन सड़कों का पिछले पांच वर्षों से जीर्णोद्धार नहीं हुआ है। वर्ष 2011 के एसईसीसी डाटा के अनुसार पीएम ग्रामीण आवास से 554 व आवास प्लस से 113 लोग लाभान्वित हुए। लेकिन उसके बाद भी कई ऐसे ग्रामीण हैं, जिन्हें पीएम आवास की सुविधा नहीं मिली है। आवास योजना के लिए वह मुखिया से लेकर बीडीओ कार्यालय तक चक्कर काटते रह गए। शुद्ध पानी के लिए पंचायत के अनुसूचित जाति बहुल इलाकों में 12 सोलर पंप सिस्टम लगाए गए हैं। प्रत्येक पंप से बीस घरों में जलापूर्ति हो रही है। इसके अलावा हैंडपंप तथा मनरेगा से कुएं का निर्माण कराया गया है।

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देवरिया पंचायत एक नजर में

कुल आबादी -: 5300

कुल स्कूल -: 14

स्वास्थ्य उपकेंद्र -: 00

आगंबाड़ी केंद्र -: 05

गांवों के नाम -: देवरिया, टुडा़ग, लिप्दा, तपेज, मोहनाडीह, शेषांग, कुल्लू, रमणा, रक्सी, कल्याणखाप एवं मिश्रौल

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क्या कहते हैं ग्रामीण:

पंचायत का अपेक्षित विकास नहीं हुआ। पीएम ग्रामीण आवास योजना का लाभ साधन संपन्न परिवारों को ही मिला है। उनका घर मिट्टी का है। आवास के लिए कई बार मुखिया से भेंट कर मांग की। कोई लाभ नहीं हुआ।

जयकी माली, लिप्दा।

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सड़कों की स्थिति देखकर आप स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं। कुछ विकास नहीं हुआ है। मुखिया के आसपास रहने वाले लोग ही आवास व मनरेगा की योजनाओं से लाभान्वित हुए हैं। आम लोगों के हितों में मुखिया ने काम नहीं किया है।

भैरव यादव, मंगरदाहा।

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विकास नहीं हुआ है। पांच साल पति और छह साल पत्नी दोनों ने मिलकर दस साल पंचायत का प्रतिनिधित्व किया। लेकिन समस्याएं यथावत है। शहर से सटी हुई पंचायत है। इसका लाभ नहीं मिल पाया है।

कुंती देवी, देवरिया।

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विकास नाम का हुआ है। सिर्फ नजदीकी लोग ही लाभान्वित हुए हैं। पर्सनल को काम दे दिया जाता है। पांच-छह भाइयों में एक को भी आवास नहीं मिला। मजदूरी करके घर परिवार चलाते हैं। योजना का लाभ गरीबों को नहीं अमीरों को मिला है।

सुरेंद्र पासवान, देवरिया।

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गांव में विकास हुआ है। मुखिया की पहल पर सड़कों का निर्माण कराया गया है। यहां के गरीबों को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास का लाभ भी दिलाने का काम किया गया है।

लिलो यादव, तुड़ाग।

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सार्वजनिक विकास नही हुआ है। विकास के नाम पर खानापूर्ति हुई है। इनके कार्यकाल में सिर्फ गिने-चूने लोगों का ही लाभान्वित हुए है। इस गांव में योजना का लाभ गरीबों को नहीं अमीरों को मिला है।

कार्तिक महतो, रमना।

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गांव में विकास नही हुआ है। कुछ नजदीकी लोग ही योजनाओं से लाभान्वित हुए है। जिन्हें प्रधानमंत्री ग्र्रामीण आवास योजना का लाभ मिलना चाहिए, उन्हें नही मिला। मुखिया ने सुखी समृद्ध परिवारों को ही आवास दिलाया।

संतोष लकड़ा, तुड़ाग।

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पांच वर्षों में गांव में कुछ भी विकास नही हुआ है। विकास के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हुई है। सड़कें जर्जर व संकीर्ण है। प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ तक नही मिला।

सुरेश यादव, रमना

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कोट

ग्रामीण सड़कों के जीर्णोद्धार के मामले को छोड़ दें, तो दूसरे सभी क्षेत्रों में अपेक्षित विकास हुआ है। सबसे बड़ी उपलब्धि 667 परिवारों को आवास मुहैया कराना है। कृषि आधारित पंचायत है, सिचाई के लिए मनरेगा से कूप का निर्माण कराया गया है। शुद्ध पानी के लिए सोलर सिस्टम लगाए गए हैं। आयुष्मान कार्ड बनाए गए हैं। सरकार की ओर से मिलने वाली हर सुविधा और योजना को पंचायत में उतारा गया है।

रीना देवी, मुखिया, देवरिया।

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कोट

कोई विकास नहीं हुआ है। छह साल पत्नी और उसके पहले पांच साल पति ने पंचायत का प्रतिनिधित्व किया। लेकिन दुर्भाग्य यह रहा कि पंचायत का अपेक्षित विकास नहीं हुआ। शहर से सटी पंचायत है, उसका लाभ मिलना चाहिए था। मगर स्थिति यह है कि साधन और सुविधाओं में बहुत बढोत्तरी नहीं हुई है। आवास, शौचालय, जलापूर्ति एवं कूप आदि का निर्माण रूटीन वर्क है, उसे तो सबको करना है।

समता देवी, प्रतिद्वंद्वी।

::::::::::::::::::::::::::::::: रोचक पहलू : पहले पति और पत्नी ने किया पराजित

देवरिया पंचायत से जुड़ा हुआ एक रोचक पहलू है। कुमार विवेक सिंह और रीना देवी पति और पत्नी हैं। वहीं दूसरी ओर शिवकुमार चौबे और समता देवी पति और पत्नी हैं। कुमार दंपति चौबे दंपति को पराजित किया है। पहले चुनाव में कुमार विवेक यहां से निर्वाचित हुए थे। उन्होंने शिवकुमार चौबे को हराया था। दूसरी बार सीट महिलाओं के लिए सुरिक्षत हो गई तो कुमार विवेक ने पत्नी रीना देवी को प्रत्याशी बनाया और शिवकुमार चौबे ने पत्नी समता देवी को। रीना देवी ने समता देवी को परास्त किया।

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