समूह महाप्रबंधक का मुआवजा वृद्धि से इंकार
एनटीपीसी की नार्थ कर्णपुरा ताप विद्युत परियोजना के नवपदस्थापित कार्य
संवाद सूत्र, टंडवा (चतरा) : एनटीपीसी की नार्थ कर्णपुरा ताप विद्युत परियोजना के नवपदस्थापित कार्यकारी निदेशक तजेंद्र गुप्ता ने पदभार ग्रहण करने के साथ रैयतों की मांगों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि रैयतों की मांगे उचित नहीं हैं। इस पर किसी भी प्रकार का पुनर्विचार की संभावना नहीं है। समूह महाप्रबंधक के बयान के बाद रैयतों की नाराजगी और बढ़ गई है। आंदोलन को और धारदार बनाने में जुट गए हैं। रैयतों का कहना है कि इस बार आरपार की लड़ाई है। मुआवजा वृद्धि नहीं तो, प्लांट का निर्माण कार्य भी नहीं होने देंगे। रैयत पिछले 314 दिनों से मांगों के समर्थन पर धरना पर बैठे हुए हैं। जबकि पिछले दस दिनों से अनशन और छह दिनों से परियोजना का निर्माण कार्य को अवरुद्ध किए हुए हैं। काम ठप होने से प्रतिदिन एनटीपीसी को पौने दो से दो करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। वरीय महाप्रबंधक का तर्क है कि एनटीपीसी जमीन का अधिग्रहण कर चुकी है। इतना ही नहीं दाखिल खारिज और रसीद भी निर्गत हो रही है। वैसे में मुआवजा बढोतरी का कहीं से भी उचित नहीं है। उनका कहना है कि भूमि अधिनियम के अनुसार जिस दिन से अधिग्रहित भूमि में सेक्शन नाइन लगा दिया गया, उसी दिन से जमीन प्रबंधन का हो जाता है और रैयत उसे खरीद-बिक्री नहीं कर सकते हैं। रसीद कटना और मुआवजा बढ़ाना यह सभी उनकी मनगढ़ंत बातें हैं और यह बेबुनियाद है, जिसे विस्थापित विकास संघर्ष समिति एक सिरे से खारिज करती है। भूरैयतों की बढ़ोतरी राशि नहीं है, बकाया राशि है। 03.03. 2016 में हुई त्रिपक्षीय वार्ता में पारित हो चुका है। इसका भुगतान आज तक एनटीपीसी द्वारा नहीं किया गया है। भूरैयतों का बकाया राशि पांच लाख रुपये प्रति एकड़ भुगतान की मांग 2013-14 से ही लगातार चली आ रही है। तीन मार्च 2016 को सिमरिया अनुमंडल पदाधिकारी की अध्यक्षता में हुई त्रिपक्षिय वार्ता में 15 लाख रुपये प्रति एकड़ से बढ़ाकर बीस लाख रुपये प्रति एकड़ का भुगतान करने का लिखित समझौता हुआ लेकिन एनटीपीसी प्रबंधन समय को बढ़ाती रही है। एक बार पुन: भूरैयतो द्वारा बकाया राशि की मांग की जा रही है।