ढाक बजा पट खुला, भक्तों ने की महामाया का दर्शन
संवाद सूत्र चतरा ढाक बजा पट खुला और जगत जननी महामाया प्रकट हुई। दिव्य रूप अलौकिक छवि।
संवाद सूत्र, चतरा : ढाक बजा, पट खुला और जगत जननी महामाया प्रकट हुई। दिव्य रूप, अलौकिक छवि, अनुपम छटा सहस्त्र सूर्यों की आभा, चंद्र वदन, उन्मत सिंह पर सवार आलोकित प्रदीप्त माता जगत जननी को देख भक्त अह्लादित हो उठे। पूजा पंडाल माता के जयकारों से गुंजायमान हो उठा। शंख घंट की ध्वनि से वातावरण प्रतिध्वनित हो उठी। पुजारियों ने मंत्रोच्चार किया। भक्तों ने पुष्प वर्षा की। सर्वत्र भक्ति का ज्वार उमड़ पड़ा। चहुंओर आस्था का सैलाब प्रवाहित हो उठा। सड़कों से लेकर पूजा पंडालों तक भारी भीड़, कहीं तिल रखने की जगह नहीं। भीड़ स्वत: नियंत्रित, स्वत: अनुशासित, सभी के हाथ जुडे़ हुए, सभी के शीष माता के चरणों में झुके हुए। सभी की चाहत माता की इस नयनाभिराम छवि को निहारने के की। सभी की इच्छा माता को आंखों में बसा लेने की। क्या अमीर, क्या गरीब, क्या छोटा क्या बड़ा, आज सभी है याचक, सभी हैं भिक्षुक सभी माता के सामने नतमस्तक, मांग लो जो चाहो आज माता स्वयं धरा पर पधारी हैं। सभी का पीड़ा हरने, जगत का कल्याण करने, मिट गई दूरियां, खत्म हो गए भेदभाव, माता के समक्ष सभी एक, सब बराबर सभी को उनसे कृपा की आवश्यकता, सभी को उनसे दया की कामना, पूजा की थाल लिए महिलाएं भक्ति की अतिरेक में झूमते पुरुष, माता को अपलक निहारते बच्चे, मंत्रों का अनवरत जाप करते साधक, मंत्रोच्चार करते पुजारी, गांव से लेकर शहर तक माता की आराधना में डूबे लोग। इधर सुरक्षा को लेकर पुलिस प्रशासन पूरी तरह से तत्पर है। सभी पूजा पंडालों के आसपास सुरक्षा कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गई है।