योग भारत की प्राचीनतम परंपरा का एक अमूल्य उपहार : लाला प्रसाद

संवाद सहयोगी चतरा स्थानीय लाला-प्रीतम बीएड कॉलेज में मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 07:42 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 07:42 PM (IST)
योग भारत की प्राचीनतम परंपरा का एक अमूल्य उपहार : लाला प्रसाद
योग भारत की प्राचीनतम परंपरा का एक अमूल्य उपहार : लाला प्रसाद

संवाद सहयोगी, चतरा : स्थानीय लाला-प्रीतम बीएड कॉलेज में मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर मंगलवार वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसमें बीएड एवं डीएलएड सत्र 2019-21 एवं 2020-22 प्रशिक्षुओं ने भाग लिया। वेबिनार में बतौर मुख्य अतिथि महाविद्यालय के निदेशक लाला प्रसाद साहू मौजूद थे। उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि योग के द्वारा भारत की गौरवशाली संस्कृति और सभ्यता को एक नया आयाम मिल रहा है। योग भारत की प्राचीनतम परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। इसे अंतरराष्ट्रीय पटल पर 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की ओर से प्रस्ताव रखा गया। जिसे पारित 21 जून 2015 में किया गया। प्रशिक्षु निहारिका कुमारी ने कहा कि इस वर्ष योग फॉर वेल विग रखा गया है अर्थात स्वस्थ मन स्वस्थ शरीर आनंद पूर्ण जीवन के आधार हैं। अत: सभी स्वजनों को नियमित रूप से योग करना चाहिए। व्याख्याता रंजीत कुमार ने कहा कि भारतीय धर्म एवं दर्शन में योग का एक खास महत्व है आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ ही शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग के महत्व को सभी धर्म तथा संप्रदायों में खुले मन से स्वीकार किया गया है। दर्शन योग एक मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास है, जो लोगों को शांति आत्मविश्वास में वृद्धि भावनात्मक बुद्धिमत्ता में सुधार और प्रतिरोधक क्षमता के अलावे लोगों को प्रकृति से जोड़ता है। इतिहास विद व्याख्याता बबीता कुमारी ने कहा कि आजादी के आंदोलन के दौरान महान शिक्षा शास्त्री व दार्शनिक महर्षि अरविद घोष व युवाओं के प्रणेता स्वामी विवेकानंद ने पीड़ा से जूझते हुए विश्व को अध्यात्म और योग के मंत्र के साथ विश्व शांति का संदेश दिया था। वेबिनार को व्याख्याता संध्या कुमारी, प्रशिक्षु मनीष कुमार दास, शिक्षक प्रकाश कुमार, प्रशिक्षु उन्नति पाठक आदि ने भी संबोधित किया।

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