पंद्रह दिनों में तीन मौतों के बाद खुद सतर्क हो गया सोनपुरा गांव

संजय शर्मा इटखोरी (चतरा) बीस-पच्चीस दिन पहले तक अन्य गांव के ग्रामीणों की तरह प्रखंड के सो

By JagranEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 07:08 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 07:08 PM (IST)
पंद्रह दिनों में तीन मौतों के बाद खुद सतर्क हो गया सोनपुरा गांव
पंद्रह दिनों में तीन मौतों के बाद खुद सतर्क हो गया सोनपुरा गांव

संजय शर्मा, इटखोरी (चतरा): बीस-पच्चीस दिन पहले तक अन्य गांव के ग्रामीणों की तरह प्रखंड के सोनपुरा गांव के लोग भी कोरोना के संक्रमण को लेकर बेफिक्र थे। अपवाद स्वरूप गांव के कुछ लोगों को छोड़ दें तो पूरा गांव कोरोना को लेकर सतर्कता बरतने में परहेज करता है। पहले गांव के लोग झुंड में बैठकर गप्पे हांकने में मशगूल रहते थे। इस गांव की पढ़ी-लिखी युवा पीढ़ी भी कोरोना को लेकर सचेत नजर नहीं आ रही थी। इसी बीच 28 अप्रैल को इस गांव में 55 वर्षीय सत्येंद्र सिंह नामक एक व्यक्ति की हार्ट अटैक से मौत हो गई। उनकी मौत के बाद भी गांव के लोग बहुत ज्यादा सतर्क नहीं हुए। जबकि उस वक्त इस गांव के तकरीबन हर घर में सर्दी, खांसी व जुकाम से लोग पीड़ित थे। स्थानीय चिकित्सकों से लोग इलाज तो करवा रहे थे, लेकिन सरकारी अस्पताल में जाकर कोरोना का टेस्ट कराने से परहेज कर रहे थे। इसी बीच बीते आठ मई को कोरोना के संक्रमण से मुक्त होने के बाद इस गांव के 52 वर्षीय बसंत सिंह की मौत रांची में इलाज के दौरान हो गई। जैसे ही उनकी मौत की खबर गांव पहुंची पूरा गांव सकते में आ गया। लोगों ने खुद को घरों में कैद करना शुरू कर दिया। जो लोग सर्दी, खांसी व जुकाम से पीड़ित थे उन्होंने परिवार के अन्य सदस्यों से भी खुद को अलग-थलग कर लिया। ऐसे लोग घरेलू उपचार के माध्यम से खुद को स्वस्थ करने में भी जुट गए। गांव की गलियों में जो भीड़ नजर आती थी वह अचानक से गायब हो गई। पूरा गांव सन्नाटे में डूबा नजर आने लगा। कोरोना के प्रति इस गांव के लोगों की सतर्कता तब और बढ़ गई जब इस गांव के 48 वर्षीय रामप्रवेश सिंह की मौत चतरा के सदर अस्पताल में इलाज के दौरान हो गई। रामप्रवेश सिंह के दाह संस्कार में सिर्फ उनके परिवार के ही चंद लोग शामिल हुए। गांव के अधिकांश लोगों ने खुद को उनके अंतिम संस्कार से अलग रखा। रामप्रवेश सिंह की मौत के बाद पूरा गांव सदमे में है। लेकिन पूरी तरह सतर्क भी है। लोग बेवजह घर के चौखट के बाहर भी कदम नहीं रख रहे हैं। पिछले चार-पांच दिनों से लोगों में आई ऐसी सतर्कता का सुखद परिणाम यह निकला कि सर्दी, खांसी व बुखार से पीड़ित अधिकांश लोग अब ठीक हो चुके हैं। लेकिन इसके बाद भी गांव के लोगों की सतर्कता पूरी तरह बरकरार है। वैसे इस गांव में कोरोना के जांच को लेकर आज भी जागरूकता का घोर अभाव नजर आ रहा है। इस गांव के ओमप्रकाश सिंह बताते हैं कि लोग गांव में जांच करवाने के लिए तैयार हैं। लेकिन अस्पताल जाने से हिचकिचाते हैं। गांव के कुछ युवकों ने स्थानीय प्रशासन से गांव में शिविर लगाकर कोरोना का जांच करवाने की मांग की है।

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