इटखोरी में वृक्षों को धड़ल्ले से काट रहे हैं लोग

संवाद सहयोगी इटखोरी (चतरा) आक्सीजन के अभाव में दम घुट रहे लोगों को पेड़ पौधों की उपयो

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 06:38 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 06:38 PM (IST)
इटखोरी में वृक्षों को धड़ल्ले से काट रहे हैं लोग
इटखोरी में वृक्षों को धड़ल्ले से काट रहे हैं लोग

संवाद सहयोगी, इटखोरी (चतरा) : आक्सीजन के अभाव में दम घुट रहे लोगों को पेड़ पौधों की उपयोगिता लगता है अब भी पूरी तरह समझ में नहीं आई है। तभी तो प्राणवायु देने वाले वृक्षों की लोग धड़ल्ले से काट रहे हैं। हैरत की बात यह है कि जानकारी रहने के बावजूद वन विभाग के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे हुए बैठे हैं। वैसे तो इस क्षेत्र में अब जंगल काफी कम बचे हैं। लेकिन मां भद्रकाली मंदिर के पीछे महाने नदी के तटीय क्षेत्रों में सखुआ का जंगल धीरे धीरे तैयार होने लगा था। लेकिन लकड़ी तस्कर तैयार हो रहे सखुआ के जंगल को पचा नहीं पा रहे थे। ऐसे में लकड़ी तस्करों के द्वारा सखुआ के पेड़ों की अवैध तरीके से कटाई शुरू कर दी गई है। हर दिन दर्जनों की संख्या में सखुआ के पेड़ काटे जा रहे हैं। बताया जाता है कि सखुआ का पेड़ काटने वाले लोग दो से तीन बजे रात में जंगल में प्रवेश कर जाते हैं। इसके बाद पसंदीदा सखुआ का पेड़ काटने के बाद उसे सुबह होने से पहले ही ठिकाने लगा देते हैं। लकड़ी तस्करों के इस गोरखधंधे का सबूत सखुवा के जंगलों में जगह जगह मौजूद है। काटे गए सखुआ के पेड़ के नीचे का हिस्सा चीख चीख कर गवाही दे रहा है कि उसे हाल फिलहाल में ही काटकर ठिकाने लगाया गया है। आश्चर्य की बात यह है कि सखुआ के इस जंगल की रखवाली के लिए वन विभाग के द्वारा वन सुरक्षा समिति का भी गठन किया गया है। लेकिन वन सुरक्षा समिति के लोग भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। जिससे स्थानीय ग्रामीणों में गहरा रोष है।

खैर की लकड़ी की भी हो रही तस्करी

जंगली क्षेत्रों से खैर की लकड़ी की भी खूब तस्करी हो रही है। अवैध तरीके से कत्था बनाने वाले लोग खैर के पेड़ों की कटाई मजदूरों से करवा रहे हैं। कटाई के पश्चात ट्रैक्टर के माध्यम से कटी हुई खैर की लकड़ी ओ को बाहर ले जाया जा रहा है।

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