तालाब में फैला कचरा, तंत्र सुस्त
संवाद सहयोगी चतरा ठीक एक साल पहले प्रधानमंत्री के आह्वान पर चतरा में भी स्वच्छ भारत अभियान
संवाद सहयोगी, चतरा : ठीक एक साल पहले प्रधानमंत्री के आह्वान पर चतरा में भी स्वच्छ भारत अभियान बढ़-चढ़कर चलाया गया था। चाहे अधिकारी हो या फिर आम आदमी। उस दौरान लोगों की सक्रियता देखते ही बनती थी। जैसे-जैसे अभियान में अधिकारी शिथिलता बरतते गए। वैसे वैसे अभियान सुस्त होता गया। साथ ही लोगों में स्वच्छता अभियान के प्रति उत्साह घटने लगी। वर्तमान में जल की उपयोगिता के बारे में कोई अनजान नहीं है। इसके बगैर जीवन का अस्तित्व नहीं है। इसके बावजूद इसे संरक्षित व संग्रहित करने की दिशा में हमारा प्रयास नहीं होता। पानी की बर्बादी को रोकने की दिशा में भी लोग सजग नहीं है। जलवायु परिवर्तन का खतरा भी इसी लापरवाही की वजह से है। सरकार ने इस दिशा में कदम जरूर बढ़ाए हैं, पर सामाजिक स्तर पर भी इसके प्रति लोगों को सचेत होने की जरूरत है।
पुराने जमाने में हमारे पूर्वज सामाजिक स्तर पर तालाब व कुंआ खुदवाकर उसकी उचित देखरेख भी करते थे। लेकिन समय के साथ सोच में बदलाव हुआ और तालाब उपेक्षा के शिकार होते चले गए। इसमें कूड़ा-कचरा फेंका जाने लगा। पानी धीरे-धीरे सूखने लगा। अब जल संकट का खतरा हर तरफ मंडरा रहा है।
शहर का प्रसिद्ध छठ तालाब, पुरैनिया तालाब, नयकी तालाब, कठौतिया तालाब, राजा तालाब आदि तालाब में जगह-जगह गंदगी और कचरा पसरा नजर आने लगा। तालाब की सफाई का बीड़ा उठाने वाला आज कोई नहीं है।