कोल वाहनों की पार्किंग बन गया टंडवा-सिमरिया पथ

टंडवा प्रखंड को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली मुख्य मार्ग टंडवा-सिमरिया सीसीएल का पार्किंग क्षेत्र में तब्दील हो गया है। सड़क पर सीसीएल की अम्रपाली कोल परियोजना से कोयला ढोने वाले वाहनों का कब्जा रहता है। कोयला वाहनो की लंबी कतार लगी रहती है। प्रतिदिन घंटो जाम लगना

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Nov 2018 07:02 PM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 07:02 PM (IST)
कोल वाहनों की पार्किंग बन गया टंडवा-सिमरिया पथ
कोल वाहनों की पार्किंग बन गया टंडवा-सिमरिया पथ

टंडवा : टंडवा प्रखंड को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली मुख्य मार्ग टंडवा-सिमरिया सीसीएल का पार्किंग क्षेत्र में तब्दील हो गया है। सड़क पर सीसीएल की आम्रपाली कोल परियोजना से कोयला ढोने वाले वाहनों का कब्जा रहता है। कोयला वाहनों की लंबी कतार लगी रहती है। प्रतिदिन घंटो जाम लगना आम बात हो गई है। जिसके कारण आम लोगो को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बच्चे ससमय स्कूल नहीं पहुंच पाते है। एंबुलेंस घंटो जाम का शिकार बनती है। नौकरी पेशा वाले लोग प्रतिदिन जाम में घंटो फंसे रहते है। यात्री वाहन अपनी रूठ बदल गंतव्य स्थान तक पहुंच रही है । सड़क किनारे निवास करने वाले धूल-गर्दे व प्रदूषण से परेशान है। दुकानदारों का लाखों रुपये का सामान खराब हो जाता है। जानकर बताते है कि आम्रपाली परियोजना में 1500 कोयला वाहन चलाने की क्षमता है। लेकिन वर्तमान में लोकल व दूसरे राज्यों से लगभग दस हजार कोयला वाहनों का आवागम हो रहा है। जिसके कारण ही ऐसी समस्या उत्पन्न हो गई है। कोयला वाहन सड़क पर ही तीन से चार दिन तक खड़ी रहती है। इस समस्या को लेकर न ही जिला प्रशासन गंभीर है, नहीं सीसीएल प्रबंधन। इस समस्या को लेकर जनप्रतिनिधि व समाजसेवी जिले के वरीय पदाधिकारी से शिकायत कर चुके हैं। उसके बावजूद कोई समाधान नजर नही आता है। इस समस्या से आजीज होकर करीब दो माह पूर्व स्कूली छात्र छात्राओं ने सड़क पर विद्यालय सजाकर विरोध जताया था। जिसके फलस्वरूप प्रखंड बीस सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति की बैठक में इस मामला को गंभीरता से उठाया गया था। बीस सूत्री की बैठक में माइंस एरिया से कोयला वाहन दिन में निकलने पर पाबंदी का प्रस्ताव लिया था। प्रस्ताव को अनुमोदन के लिए जिला भेजा गया है। लेकिन अनुमोदन नहीं मिला है। ऐसे में ग्रामीण आंदोलन का मूड बना रहे हैं।

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