चतरा के इतिहास को मुकम्मल आवाज दी थी इफ्तेखार आलम ने

जागरण संवाददाता चतरा इतिहासकार डा. प्रो. मो. इफ्तेखार आलम तो अब हम लोगों के बीच नहीं र

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 07:06 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 07:06 PM (IST)
चतरा के इतिहास को मुकम्मल आवाज दी थी इफ्तेखार आलम ने
चतरा के इतिहास को मुकम्मल आवाज दी थी इफ्तेखार आलम ने

जागरण संवाददाता, चतरा : इतिहासकार डा. प्रो. मो. इफ्तेखार आलम तो अब हम लोगों के बीच नहीं रहे, लेकिन उनके द्वारा चतरा के इतिहास को दी गई आवाज सदियों तक यहां गूंजेगी। उन्होंने यहां के ऐतिहासिक तथा पुरातात्विक स्थलों के इतिहास को सामने लाया ही, साथ ही क्रांति की भूमि चतरा से उठी क्रांति की मशाल से भी लोगों को परिचित कराया। डा. आलम दास्तां कहते-कहते हमेशा के लिए दुनिया से अलविदा हो गए। डा. आलम के रूप में चतरा ने विभूति खो दिया। उनकी उम्र करीब 75 वर्ष की होगी। डा. आलम चतरा महाविद्यालय के सेवानिवृत्त प्राचार्य थे। विनोबा भावे विश्वविद्यालय में इतिहास के विभागाध्यक्ष रह चुके हैं। उन्हें इस्लाम, सनातन और सिख धर्मों की थी अच्छी जानकारी थी। सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहरों पर अच्छी पकड़ थी। इन विषयों से संबंधित उन्होंने कई पुस्तकों का लेखन किया है। कौलेश्वरी एवं भद्रकाली मंदिर पर शोध किया था। 1857 ई. क्रांति से लेकर जंग-ए-आजादी पर उन्होंने कई लेख लिखे थे। वे जिस कालेज में पढ़ाई की, वहां प्राचार्य के पद से सेवानिवृत हुए। डाक्टर इफ्तिखार आलम सांप्रदायिक सौहार्द का अनूठा मिशाल थे। उनका निधन से चतरा ने एक विभूति खो दिया। उनके इंतकाल पर शहर में दुख का आलम है। सभी धर्म व समुदाय के अलावा विभिन्न राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों एवं अन्य लोगों ने उन्हें खराज-ए-अकीदत पेश की है। खराज-ए-अकीदत पेश करने वालों में राज्य के श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण सह कौशल विकास मंत्री सत्यानंद भोक्ता, सांसद सुनील कुमार सिंह, सिमरिया विधायक किशुन दास, पूर्व विधायक जनार्दन पासवान, पत्रकार जितेंद्र कुमार, भाजपा नेता प्रो. युगल किशोर खंडेलवाल, चतरा महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. रामानंद पांडेय, समाजसेवी डा. बद्री वर्मा आदि का नाम शामिल है।

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