खाली जमीन विस्थापितों को वापस करने की उठी मांग

बोकारो 19 विस्थापित गांवों को खाली करने को लेकर विस्थापित नेताओं ने रोष व्यक्त किया है। वि

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 11:30 PM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 11:30 PM (IST)
खाली जमीन विस्थापितों को वापस करने की उठी मांग
खाली जमीन विस्थापितों को वापस करने की उठी मांग

बोकारो : 19 विस्थापित गांवों को खाली करने को लेकर विस्थापित नेताओं ने रोष व्यक्त किया है। विस्थापित नेताओं का कहना है कि जो मूल रैयत हैं, उन्हें हटाने की प्रबंधन को जल्दबाजी है, लेकिन जो लोग अतिक्रमण कर कंपनी का पानी-बिजली मुफ्त में उपयोग कर रहे हैं। उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है। कंपनी को जिस भी जमीन की जरूरत नहीं है, उसे खाली कराकर वापस करे। विस्थापित विकास समिति के संस्थापक साधु शरण गोप ने बीएसएल द्वारा विस्थापित गांवों को अनधिकृत बताये जाने पर कड़ी निदा की है। कहा कि जिस उद्देश्य से जमीन अधिग्रहण किया गया है। उसमें बदलाव नहीं किया जा सकता है, जिस जमीन का उपयोग नहीं हो रहा है। अधिग्रहित भूमि को वापस करने का प्राविधान है। इस कानून के आलोक में उपयोग नहीं हो रहे जमीन का मालिकाना स्वयं मूल रैयत होगा। वहीं, विस्थापित नेता सह इंटक के बोकारो जिलाध्यक्ष रघुनाथ महतो ने कहा कि बीएसएल प्रबंधन षडयंत्र कर विस्थापितों के जमीन को छीनना चाहता है। यह विस्थापितों के साथ धोखा है। भूमि अधिग्रहण विधेयक 2013 में प्राविधान है, जिस अधिग्रहण जमीन का उपयोग वर्षों से नहीं हुआ है। उस जमीन को स्वयं मूल रैयत को वापस होना है, लेकिन प्रबंधन जबरन विस्थापित गांव को खाली करना चाहता है।

झामुमो नेता मदन मोहन महतो ने कहा कि जिस मकसद से राज्य सरकार जमीन का अधिग्रहण किया है और आज तक जमीन का उपयोग नहीं किया गया है। जमीन स्वयं मूल रैयत को वापसी होना चाहिए। सभी विस्थापितों को आज तक नियोजन नहीं मिला और न मुआवजा मिला है। इसके बावजूद भी बीएसएल प्रबंधन 19 विस्थापित गांवों को खाली करने में लगा हुआ है। विस्थापित युवा क्रांति दल के संस्थापक सहदेव साव ने कहा कि प्रबंधन किसी हाल में 19 विस्थापित गांवों को खाली नहीं करवा सकते है। प्रबंधन मनमानी कर खाली जमीन पर अतिक्रमण करवाने का काम किया है। भूमि अधिग्रहण विधेयक 2013 के तहत खाली जमीन वापस होना चाहिए। विस्थापित दुर्गा प्रसाद ने कहा कि बीएसएल प्रबंधन पहले अतिक्रमणकारियों को खाली कराए । इसके बाद विस्थापित गांव खाली होगा। प्रबंधन की मनमानी नहीं चलने देंगे। इसके लिए प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा। विस्थापित नेता राज कुमार गोराई ने कहा कि विस्थापित गांवों को किसी भी हालत में नहीं हटाया जा सकता है। 30 वर्ष अधिग्रहित जमीन का उपयोग नहीं होता है वह जमीन स्वयं वापसी हो जाती है। झारखंड रक्षक मोर्चा के कोषाध्यक्ष उमेश महतो ने कहा कि प्रबंधन की मनमानी अब चलने नहीं दी जाएगी। प्रबंधन को सबसे पहले विस्थापित युवाओं को नियोजन देना चाहिए। इसके बाद अतिक्रमण कारी को हटाने का काम करे। तभी जाकर विस्थापित गांव खाली होगा।

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