बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन का असली मालिक ददई गुट

बोकारो श्रम विभाग ने जांच पड़ताल के बाद बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन जो कि इंटक से संबद्ध मजदू

By JagranEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 12:02 AM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 12:02 AM (IST)
बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन का असली मालिक ददई गुट
बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन का असली मालिक ददई गुट

बोकारो : श्रम विभाग ने जांच पड़ताल के बाद बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन जो कि इंटक से संबद्ध मजदूर संगठन है , उसके असली दावेदार के रूप में चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई गुट को मान्यता दे दी है। श्रम विभाग के इस निर्णय के बाद बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन के नाम पर प्रबंधन से वार्ता करने वाले कई गुटों का अस्तित्व समाप्त हो गया है। श्रम विभाग ने इस संबंध में चार जून को सभी पक्षों को सुनने के उपरांत बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन के असली दावेदार के रूप में चंद्रशेखर दूबे उर्फ ददई दुबे को मान्यता दी। साथ ही, उन्हें यूनियन के पंजीकरण का प्रमाण पत्र भी दिया है । इस संबंध में जारी आदेश के अनुसार बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन नामक यूनियन अब चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे की ही होगी। अन्य किसी भी गुट को इस संबंध में दावा करने का अधिकार नहीं रहेगा। खास बात यह है कि अब तक बोकारो स्टील से संबंधित सभी वार्ता में शामिल रहने वाले वीरेंद्र चौबे गुट के सारे तर्कों को श्रम विभाग ने अमान्य करार दिया है। जारी आदेश के अनुसार अब बोकारो इस्पात प्रबंधन के साथ-साथ बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारी के रूप में चंद्रशेखर दुबे गुटके पदाधिकारी ही मान्य होंगे। विदित हो कि बोकारो स्टील में आधा दर्जन कांग्रेसी नेता अपने आप को बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन के नेता के रूप में स्थापित कर प्रबंधन से पत्राचार किया करते थे । विवाद आगे बढ़ा और चार जून 2021 को श्रम आयुक्त झारखंड सारे पक्षों को सुना, जिसके क्रम में फैसला सुनाया। समस्या यह है कि जो लोग प्रबंधन से बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन के रूप में वार्ता करते थे अब वह इस नाम पर वार्ता नहीं कर सकेंगे ।

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क्या था विवाद : बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन की स्थापना स्वर्गीय पीएन त्रिपाठी ने किया था। उनके मरणोपरांत इस यूनियन के कई दावेदार खड़े हो गए । उनमें से एक वीरेन्द्र चौबे तथा दूसरे सांसद चंद्रशेखर दुबे तथा अन्य कई लोग शामिल थे । झारखंड सरकार ने अधिसूचना जारी कर वैसे मजदूर संगठन जो कि अविभाजित बिहार के समय पंजीकृत थे। उन्हें नए सिरे से पंजीकरण कराने का निर्देश जारी किया। इस आदेश के तहत सभी लोगों ने आवेदन दिया । आवेदन में अब तक यूनियन की गतिविधि एवं उनके द्वारा सरकार को दिए गए विवरण में चंद्रशेखर दुबे गुट को सही पाते हुए श्रम विभाग ने उनकी यूनियन को बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन का असली दावेदार माना और प्रमाण पत्र जारी कर दिया है । इसके साथ हैं अब वर्षों से बंद पड़े खाता के संचालक का अधिकार चंद्रशेखर दुबे गुट को मिल गया है साथ ही यूनियन नेताओं के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है जो कि बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन के नाम पर बोकारो स्टील की आवास में रहा करते थे उनकी मान्यता समाप्त हो गई है। वैसे संगठनों के पास अब उपर के न्यायालय में जाने का रास्ता मात्र रह गया है।

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