आधुनिक कृषि पद्धति अपनाकर राजेश ने पाई खुशहाली

तेलो (बेरमो) बेरमो अनुमंडल अंतर्गत चंद्रपुरा प्रखंड की कुरुंबा पंचायत में है जरुआटांड़ ग्रा

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 08:10 PM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 08:10 PM (IST)
आधुनिक कृषि पद्धति अपनाकर राजेश ने पाई खुशहाली
आधुनिक कृषि पद्धति अपनाकर राजेश ने पाई खुशहाली

तेलो (बेरमो) : बेरमो अनुमंडल अंतर्गत चंद्रपुरा प्रखंड की कुरुंबा पंचायत में है जरुआटांड़ ग्राम। यहां के 38 वर्षीय किसान राजेश कुमार महतो ने आधुनिक कृषि पद्धति अपनाकर खुशहाली पाई है। पिछले चार साल से इंटर क्रापिग, ड्रिप इरिगेशन व मलचिग विधि से अपनी साढ़े तीन एकड़ जमीन में वह सब्जियों की खेती कर रहे हैं। उनकी खेती में पत्नी नीलम भारती सहित मां राधा देवी व पिता जगदीश महतो का भी सहयोग शामिल है। इसकी बदौलत विभिन्न सब्जियां उपजाकर प्रतिवर्ष छह लाख रुपये की आय कर रहे हैं। साथ ही रसायनिक खाद व कीटनाशक उपयोग किए बिना जैविक खेती करने की इबारत लिख रहे हैं।

अपने खेत की 50 डिसमिल जमीन पर इंटर क्रापिग विधि अपनाते हुए पपीता के साथ बैंगन उपजा रहे हैं। वहीं, एक एकड़ जमीन में करेला, एक एकड़ जमीन में हरी मिर्च, 50 डिसमिल जमीन में टमाटर और 50 डिस्मिल जमीन में खीरा की फसल लगा रखी है।

बनारस व शिमला जाकर लिया प्रशिक्षण :

राजेश ने बताया कि बोकारो जिला कृषि विभाग के सहयोग से उन्होंने जैविक खाद के उपयोग एवं वैज्ञानिक विधि से खेती करने का प्रशिक्षण बनारस व शिमला जाकर प्राप्त किया। उससे पहले रांची में भी प्रशिक्षण लिया था। वर्ष-2018 से आधुनिक विधि से खेती कर रहे हैं। शुरुआती दौर में थोड़ी परेशानी उठानी पड़ी। समय के साथ वह सारी परेशानी दूर हो गई। राज्य सरकार के बागवानी विभाग की ओर से अनुदान पर ड्रिप पाइपलाइन उपलब्ध कराई गई, तो अपने खर्च से खेत में डीप बोरिग कराकर बारहों मास सिचाई करने की सुविधा पा ली। ड्रिप पाइपलाइन से सिचाई में कम पानी खर्च :

राजेश ने बताया कि ड्रिप पाइपलाइन से खेतों की सिचाई करने पर कम पानी खर्च होता है। असामान्य बारिश के कारण किसानों के समक्ष प्रतिवर्ष पानी की समस्या बढ़ती जा रही है। ऐसी परिस्थिति में ड्रिप पाइपलाइन किसानों के लिए वरदान है। इस प्रणाली से कम पानी में अच्छी उपज हासिल होती है। वहीं, जमीन की उर्वरा शक्ति बरकरार रखने में जैविक खाद सहायक सिद्ध होता है। जबकि मलचिग विधि से खेती करने पर खेतों में खरपतवार की संभावना कम हो जाती है। इससे कीट-पतंग पौधों को कम नुकसान पहुंचाते हैं।

उन्होंने इंटर क्रापिग के बारे में बताया कि इस विधि से खेती करने पर एक ही खेत में एक साथ कई सब्जियों की उपज की जाती है। दर्जनों किसानों ने अपनाई ड्रिप सिचाई प्रणाली :

कृषक मित्र आर महतो ने बताया कि जरुआटांड़ के प्रगतिशील किसान राजेश कुमार महतो से प्रेरित होकर चंद्रपुरा प्रखंड के अन्य दर्जनों किसानों ने भी सब्जियों की खेती में ड्रिप सिचाई प्रणाली को अपनाया। उनमें तारानारी के किसान हीरालाल महतो, मदनपुर के प्रेम कुमार, दीपक कुमार, जरुआ ग्राम के दिनेश कुमार, लखन महतो, सुनील महतो, राजेश महतो, तेलो ग्राम के दिनेश कुमार आदि शामिल हैं। उन सभी को ड्रिप इरिगेशन की सुविधा सरकारी तौर पर 90 प्रतिशत अनुदान पर दी गई। एक एकड़ खेत में ड्रिप पाइपलाइन बिछाने में फिलहाल लगभग 60 हजार रुपये की लागत आ रही है।

सभी किसानों को प्रकृति के साथ तालमेल बैठाकर खेती करनी चाहिए। आधुनिक पद्धति से खेती करने से फसलों की उपज बढ़ती है। जैविक खाद का उपयोग करने से खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। वहीं, ड्रिप पाइपलाइन किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।

- बबलू सिंह, बीटीएम, चंद्रपुरा प्रखंड।

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