श्रीश्री शिवमंदिर प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ का शुभारंभ

स्वांग (बेरमो) गोमिया के साड़म पश्चिमी पंचायत अंतर्गत मड़ईटोला में शुक्रवार को श्रीश्री शिव मं

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Apr 2021 12:13 AM (IST) Updated:Sat, 24 Apr 2021 12:13 AM (IST)
श्रीश्री शिवमंदिर प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ का शुभारंभ
श्रीश्री शिवमंदिर प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ का शुभारंभ

स्वांग (बेरमो): गोमिया के साड़म पश्चिमी पंचायत अंतर्गत मड़ईटोला में शुक्रवार को श्रीश्री शिव मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ की शुरुआत जलयात्रा के साथ की गई। कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए कुछ महिला श्रद्धालुओं ने माथे पर कलश लेकर साड़म स्थित बोकारो नदी घाट पहुंची, जहां वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कलश में जल भरकर पूरे गांव में भ्रमण करते हुए वापस यज्ञ स्थल पहुंच कलश स्थापित किया गया। यजमान पंडित मथुरा तिवारी एवं अहिल्या देवी ने बताया कि महायज्ञ को लेकर बीते दो अप्रैल को मंदिर प्रांगण में ध्वजारोहण किया गया था। उन्होंने बताया कि कोविड-19 को लेकर सरकारी गाइडलाइंस का पालन करते हुए चैत्र शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि के दिन कलश यात्रा के पश्चात मंडप प्रवेश एवं वेदी पूजन किया गया है। शनिवार 24 अप्रैल को द्वादशी तिथि के दिन जलाधिवास एवं सज्याधिवास तथा रविवार 25 अप्रैल त्रयोदशी को शिखर स्थापन, प्राण-प्रतिष्ठा, हवन आरती का कार्यक्रम किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सनातन धर्म में महायज्ञ का बहुत बड़ा महत्व है। महायज्ञ के दौरान आसपास क्षेत्र का वातावरण शुद्ध हो जाता है। बताया कि आदि काल से ऋषि मुनि जन कल्याण, सुख समृद्धि, स्वस्थ समाज निर्माण के साथ-साथ विश्व शांति के लिए यज्ञ का आयोजन करते थे। हवन कुंड में अग्नि को दी जाने वाली सामग्री तिल, जौ, घी, मधु, चंदन आदि हवन सामग्री के आहुति से वातावरण शुद्ध होता है। वायु प्रदूषण का ग्राफ नीचे गिरता है। हानिकारक सूक्ष्म जीवाणुओं का नाश होता है। इससे लोगों के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होने लगता है। अच्छी बारिश होती है जिससे धन धान्य की वृद्धि होती है। लोगों में सुख समृद्धि आती है और स्वस्थ समाज निर्माण को बल मिलता है। दुष्ट प्रवृत्तियों का नाश होता है, जिससे विश्व शांति को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने बताया कि कोविड-19 को लेकर महायज्ञ के कार्यक्रम में भारी कटौती की गई है। मौके पर नरेश कुमार तिवारी, जगेश्वर उपाध्याय, मुरारी शर्मा, प्रदीप उपाध्याय आदि मौजूद थे।

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