पिता के घर भी पति का अपमान हो तो वहां न जाएं

बोकारो श्रीराम कथा सत्संग समारोह के तृतीय दिवस को आचार्य वेदानंद शास्त्री जी ने कहा कि संस

By JagranEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 09:07 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 09:07 PM (IST)
पिता के घर भी पति का अपमान हो तो वहां न जाएं
पिता के घर भी पति का अपमान हो तो वहां न जाएं

बोकारो : श्रीराम कथा सत्संग समारोह के तृतीय दिवस को आचार्य वेदानंद शास्त्री जी ने कहा कि संसार में तीन हठ सबसे प्रबल है। स्त्री हठ, बाल हठ एवं वृद्ध हठ। स्त्री हठ के कारण पार्वती को अपना शरीर त्यागना पड़ा। उन्होंने कहा कि माता-पिता के घर बिन बुलाए भी जाना चाहिए, परंतु अगर वहां आपके पति का अपमान हो तो वहां कभी नहीं जाना चाहिए। दक्ष प्रजापति ने यज्ञ में श्री शंकर जी का भाग नहीं दिया तथा अपनी बेटी का भी तिरस्कार किया गया। बेटी ने अपना तिरस्कार तो सहन कर लिया, परंतु अपने पति का अपमान न सहा गया, और उसी यज्ञकुण्ड में कूद कर अपनी जान दे दी। तभी भगवान शंकर ने वहां उपस्थित सभी देवताओं और दक्ष प्रजापति को प्रताड़ित किया और सती के अधजले शरीर को लेकर विकराल रूप धारण किया। इसका अंश भारत के विभिन्न प्रांतों में गिरा और शक्तिपीठ के नाम से विख्यात हुआ। इस धरती पर जब-जब अत्याचार और पाप बढ़ता है तभी भगवान विभिन्न रूप में आकर संतजन और समाज की रक्षा करते हैं।

शास्त्रीजी ने भगवान का श्री राम के रूप में प्राकट्य एवं दुष्टों का संहार करना बताया। भगवान ने राम के रूप में आकर संसार के मानवों को मातृ-पितृ भक्ति, सदाचार, ²ढ-प्रतिज्ञा एवं यथोचित जीवन की जानकारी दी। उन्होंने मर्यादित जीवन से पुरुषोत्तम की कल्पना का सिद्धांत बताया। शास्त्रीजी ने कहा कि अगर थोड़ा सा सुख मिल जाए या उसकी अनुभूति हो तो उतावलापन ठीक नहीं और दु:ख में घबराना भी नहीं चाहिए, क्योंकि ये दोनों ही स्थायी नहीं है।

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