यहां के लोगों ने खुद बनाई एक किमी लंबी नहर, सींच रहे 10 हजार एकड़; ऐसे मिली प्रेरणा

canal in village. यहां के बाशिंदों ने टोली बनाकर सामूहिक श्रमदान किया और व्यर्थ जाते पानी को नहर के जरिये सूखे खेतों तक पहुंचा दिया।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Fri, 16 Nov 2018 06:05 PM (IST) Updated:Fri, 16 Nov 2018 08:04 PM (IST)
यहां के लोगों ने खुद बनाई एक किमी लंबी नहर, सींच रहे 10 हजार एकड़; ऐसे मिली प्रेरणा
यहां के लोगों ने खुद बनाई एक किमी लंबी नहर, सींच रहे 10 हजार एकड़; ऐसे मिली प्रेरणा

बेरमो (बोकारो), फैयाज आलम। झारखंड की चुट्टे ग्राम पंचायत के बाशिंदों ने सहकार की शानदार मिसाल पेश की है। 1000 युवकों ने टोली बनाकर सामूहिक श्रमदान किया और व्यर्थ जाते पानी को नहर के जरिये सूखे खेतों तक पहुंचा दिया। उन्होंने एक किलोमीटर लंबी नहर खोदी। यह नहर इलाके की 10 हजार एकड़ कृषिभूमि की प्यास बुझा रही है।

बोकारो के बेरमो स्थित झुमरा पहाड़ की तलहटी में बसा है चुट्टे गांव। पहाड़ पर बहता पानी यदि खेतों तक पहुंचा दिया बंजर होती कृषिभूमि सोना उगलती। गांव के युवकों ने इस काम का बीड़ा उठाया। उन्होंने बेकार बहते पानी को खेतों तक पहुंचाने के लिए एक किमी लंबी नहर खोदने की योजना बनाई। सामूहिक श्रमदान शुरू किया। पहले पहाड़ से निकले अंबानाला के बेकार बह रहे पानी को नाली बनाकर बड़े तालाब में संचित किया। फिर एक किलोमीटर लंबी नहर खोद कर इसे खेतों तक ले आए। हालांकि नहर ज्यादा चौड़ी नहीं है पर पंचायत की 10 हजार एकड़ भूमि पर हरियाली की चादर बिछा चुकी है। सरकार ने ग्रामीणों की मेहनत देख 75 लाख रुपये आवंटित कर तालाब व नहर का पक्कीकरण कराया है।

ऐसे मिली प्रेरणा

पंचायत के दनरा, धमधरवा, अंबाटोला, चिरैयाटांड़, चुट्टे, श्रीनगर, पिपराबाद, कुरकुटिया, शास्त्रीनगर, खरना एवं सेवई गांव में सिंचाई की पुख्ता व्यवस्था नहीं थी। सरकार की ओर से भी कोई व्यवस्था नहीं की गई। सिंचाई के अभाव में फसल नहीं ले पाते। सरकार से फरियाद की, लेकिन सुनी न गई। तब ग्रामीणों ने खुद ही कुछ उपाय करने का निर्णय लिया। योजना बना ली गई, लेकिन अमल उतना आसान न था। मजदूरों को लगाते तो बड़ा खर्च उठाना पड़ता। तय किया कि सभी मिलकर श्रमदान करेंगे। एक हजार युवाओं ने सौ-सौ की टोली बनाकर 10-10 दिन काम करने का निर्णय लिया। पास के तालाब को बड़ा और गहरा किया। फिर छह माह में करीब एक किलोमीटर लंबी नहर खोद दी। अब यहां के किसानों के खेतों को पानी मिल रहा है।

हो गया पक्कीकरण

जब नहर बन गई तो तालाब की मेड़ बंधवाने और नहर के पक्कीकरण को ग्राम पंचायत ने भी प्रयास शुरू किया। लघु सिंचाई विभाग से संपर्क कर सारी जानकारी दी। विभागीय अधिकारियों ने ग्रामीणों के जज्बे को समझ सरकार से 75 लाख रुपये का आवंटन कराया। इस राशि से तालाब और नहर का पक्कीकरण हो गया। इस काम में भी ग्रामीणों ने श्रमदान किया।

श्रमदान बन गया वरदान

ग्रामीण कहते हैं कि हमें श्रमदान की महत्ता समझ में आ गई है। यह तो वरदान बन गया। अंबानाला का बेकार पानी काम आ गया। वहीं, राजीव कुमार मिश्रा, कृषि पदाधिकारी, बोकारो कहते हैं, ग्रामीणों की पहल सराहनीय व अनुकरणीय है। यहां के ग्रामीणों को कृषि विभाग की योजनाओं से लाभान्वित करेंगे। अंबानाला में चेकडैम बनवाकर व तालाब की परिधि को बढ़ाकर अतिरिक्त पानी संचित करने की व्यवस्था होगी।

chat bot
आपका साथी